मुक्तक/दोहा

अब केवल निंदा नहीं

निंदा के बदले हिन्द में ना जिंदा आतंकी दिखे,
करे समर्थन जो इनका ना उनके धड़ पर शीश दिखे,
पत्थरबाजों की टोली मरकर राख लगे बनने,
चाह रहा है हिंदुस्तान नहीं सुहागन चीख दिखे।

रक्तिम आँखों से बोलो अंगार यहाँ कब निकलेंगे,
मुग़ल वंश के औलादों के प्राण यहाँ कब निकलेंगे,
वहसी भेड़िये रूप बदलकर, यहाँ छलावा खूब करें,
छली उदंड नेताओं के अब मान यहाँ कब निकालेंगे।।

हर हर महादेव हुँकार करो, पाक समर्पित कम्पित हों,
निभृत पाक अब हो जायेगा, सभी निशाचर शंकित हों।
अब रहे सलामत हिन्द मुंडासा, केहरि बनकर रोर करो
पवि वर्षण सा गिरो पाक पर, खण्ड खण्ड में खण्डित हो।।

बहुत हो गया ब्रम्ह बीज अब, चलो परसु रक्तिम कर लो।
वसुधा के निशचर रक्त से, श्वेत वस्त्र रक्तिम कर लो।।
बहुत हो गया शांति-वान्ति, अब ना शिष्ट कबूतरबाजी हो।
चढ़ अराती के वक्षस्थल पर, वसुंधरा रक्तिम कर लो।।

प्रदीप कुमार तिवारी
करौंदी कला, सुलतानपुर
7978869045

प्रदीप कुमार तिवारी

नाम - प्रदीप कुमार तिवारी। पिता का नाम - श्री दिनेश कुमार तिवारी। माता का नाम - श्रीमती आशा देवी। जन्म स्थान - दलापुर, इलाहाबाद, उत्तर-प्रदेश। शिक्षा - संस्कृत से एम ए। विवाह- 10 जून 2015 में "दीपशिखा से मूल निवासी - करौंदी कला, शुकुलपुर, कादीपुर, सुलतानपुर, उत्तर-प्रदेश। इलाहाबाद मे जन्म हुआ, प्रारम्भिक जीवन नानी के साथ बीता, दसवीं से अपने घर करौंदी कला आ गया, पण्डित श्रीपति मिश्रा महाविद्यालय से स्नातक और संत तुलसीदास महाविद्यालय बरवारीपुर से स्नत्कोतर की शिक्षा प्राप्त की, बचपन से ही साहित्य के प्रति विशेष लगव रहा है। समाज के सभी पहलू पर लिखने की बराबर कोशिस की है। पर देश प्रेम मेरा प्रिय विषय है मैं बेधड़क अपने विचार व्यक्त करता हूं- *शब्द संचयन मेरा पीड़ादायक होगा, पर सुनो सत्य का ही परिचायक होगा।।* और भ्रष्टाचार पर भी अपने विचार साझा करता हूं- *मैं शब्दों से अंगार उड़ाने निकला हूं, जन जन में एहसास जगाने निकला हूं। लूटने वालों को हम उठा-उठा कर पटकें, कर सकते सब ऐसा विश्वास जगाने निकला हूं।।* दो साझा पुस्तके जिसमे से एक "काव्य अंकुर" दूसरी "शुभमस्तु-5" प्रकाशित हुई हैं