गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

प्रेम इजहार में तकरार जरूरी तो नहीं
आपसी मेल में मनुहार जरूरी तो नहीं |
डूबना ही था’ तुझे डूबते’ इन आंखों में
डूबने धार का मझधार जरूरी तो नहीं |
बाँह के घेरे’ में’ जब बंद हो’ जाती आंखें
प्रेमी’ के प्यार का’ इकरार जरूरी तो नहीं |
तू मिली मुझको’ मेरी जीस्त महक तो गई’ है
फिर बनेगी गुले’ गुलजार जरूरी तो नहीं |
खूबसूरत जो’ है’ उनका मैं’ दिवाना तो हूँ
किंतु सबका सदा दीदार जरूरी तो नहीं |
जनता को अब नहीं विश्वास दगाबाजों पर
इक दफा फिर वही सरकार जरूरी तो नहीं |
हम मिले हैं कभी पहले भी नहीं भूला हूँ मैं
मिलने’के वास्ते’ इकरार जरूरी तो नहीं |
माना’ संसार में’ दुश्मन है बहुत दोस्त नहीं
प्यार पाने कोई पुरखार जरूरी तो नहीं |
मयकशी के लिए’ आँखें तेरी काफी है प्रिय
जाम का जाम से’ तकरार जरूरी तो नहीं |
कौन देखा है’ खुदा को ? नहीं’ दीदार कभी
हो अभी कुछ भी’ चमत्कार जरूरी तो नहीं |

कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !