कविता

दिलखुश जुगलबंदी- 8

आतंकी दुश्मनों के छक्के छुड़ाना

धन्य है, कमाल है
आपकी शक्तिशाली सदाबहार काव्य रचना
जिसके शब्द रूपी बाणों ने
आतंक के चेहरों को घायल किया है
इतना आतंक देख कर रावण भी रोता होगा
और इन्हें मिटाने को श्रीराम के शौर्य का स्मरण करता होगा
आतंक को कर दो इतना आतंकित
‘रण छोड़ दे’ होकर ये भयभीत कहता होगा
फैला दो स्नेह का साया
प्रेम का सरमाया
भाईचारे का जाल
सौहार्द्र का जमाल
इन जमाल के जाल में फंस कर
दम तोड़ दे ये कायर आतंक
फिर न सताए किसी को ये आतंक
वीर जवानों का क्या है
वे शहादत से भी मनाते वैलेंटाइन
फ़र्ज़ है हम देशवासियों का
मनाएं वैलेंटाइन इन्हीं के संग
पूजा हो तो वीरों की
जय-जयकार हो वीरों की
स्नेह करें हम वीरों से
प्रेम करें हम वीरों से
जितने भी हैं वीर जवान
हम सबके लिए हैं ये भगवान
भारत की हैं ये सब शान
भारत की हैं ये सब आन
वीर पुरुष हैं ये महान
इन सभी को कोटि कोटि प्रणाम.

इन सभी को कोटि कोटि प्रणाम,
इतिहास में अमर रहेगा इनका नाम,
इनको पता है अंत में क्या होना है इनका अंजाम,
फिर भी जान हथेली पर रखकर,
प्राण न्योछावर कर देते हैं देश के नाम,
आओ हम सब एकता के सूत्र में बंध जाएं,
आतंकियों को छठी का दूध याद दिलाएं.

आतंकियों को छठी का दूध याद दिलाना
इस्राइल से सीखो आतंक को भगाना
दुश्मन के घर में घुस कर खत्म करो उसका ठिकाना
अब न बनाओ कोई बहाना
बंद करो गिड़गिड़ाना
ऐसा कुछ करो कि देखे जमाना
सभी मिलकर एक हो जाना
देश की ताकत सबको बताना.

देश की ताकत सबको बताना,
आतंक को आतंकित करने की कोई राह बनाना,
सर्वे भवंतु सुखिनः के मंत्र को मन में धारण कर,
आतंकी दुश्मनों के छक्के छुड़ाना.

ब्लॉग फिर सदाबहार काव्यालय-18 के कामेंट्स में सुदर्शन खन्ना, रविंदर सूदन और लीला तिवानी की दिलखुश जुगलबंदी.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “दिलखुश जुगलबंदी- 8

  • लीला तिवानी

    आतंकी दुश्मनों के छक्के छुड़ाना,
    पुण्य का काम है,
    इस भावना का प्रसार करने से,
    होता आतंकी दुश्मनों का काम तमाम है,
    मत दो अवसर इन आतंकी दुश्मनों को पांव पसारने का,
    इसी भावना-संभावना का ही तो देशभक्ति नाम है.
    प्रिय रवि भाई, सुदर्शन भाई, इस दिलखुश जुगलबंदी में शिरकत करने के लिए आप कोटिशः बधाई के पात्र हैं. आगे के लिए भी कोटिशः बधाइयां व शुभकामनाएं.

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