बाल कविता

बिल्ली मौसी

बिल्ली मौसी बिल्ली मौसी
कहो कहाँ से आयी हो
थकी हारी सी तुम दिख रही
कही जोरो से भूख नहीं तो आयी है
दूध को चट करने वाली
दही भी नहीं तुम छोड़ती हो
आज क्यू इतनी सराफत से
चुप चाप तुम बैठी हो
चूहो को परेशान कर देती
सबको हैरान कर देती
दबे पांव से चुपके से
जब तुम घर मे घुस आती हो
बच्चों को भी अच्छी लगती
जब म्याउं म्याउं करती हो
प्यार से सब मौसी कहते
खुद भी म्याउं म्याउं करते है।
निवेदिता चतुर्वेदी ‘निव्या’

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४