कविता

आतंकिस्तान ढहा के नही लौटे

मजा आया खूब हमले पर पर ठहाके नही लगे
मिटे ठिकाने पर आतंकिस्तान ढहा के नही लौटे

मलाल रहेगा हमारी वायु सेना को की घुसे घर मे
नाचे खूब पर कराची से दुल्हन उठा के नही लौटे

चीतों की फुर्ती देखने लायक थी एल ओ सी पार
तांडव किया 21 मिनट पर सर झुका के नही लौटे

बिलबिला रहा है इमरान खान इस हादसे के बाद
पराक्रम ऐसा जवाजों का पीठ दिखा के नही लौटे

शुक्र करो पाकिस्तानियो हमारे वीर सिपाहियों का
कि महल आतंक का कब्रिस्तान बना के नही लौटे

बाप की इज्जत करना सीख ले निर्मम पाकिस्तान
गनीमत है अभी तुम्हारी औकात बता के नही लौटे

बधाई हो शेरो ये भारत माँ के वीर लाल तुम्हे
थामा जिन्होंने रण वो निर्दोशो को सता के नही लौटे

संदीप चतुर्वेदी "संघर्ष"

s/o श्री हरकिशोर चतुर्वेदी निवास -- मूसानगर अतर्रा - बांदा ( उत्तर प्रदेश ) कार्य -- एक प्राइवेट स्कूल संचालक ( s s कान्वेंट स्कूल ) विशेष -- आकाशवाणी छतरपुर में काव्य पाठ मो. 75665 01631