लघुकथा

परिंदा

उसने जैसे ही सुबह-सुबह अपना ब्लॉग प्रकाशित किया, ब्लॉग का नंबर देखकर हर्षित हो गई. क्या था उस नंबर में!
वह नंबर था- 2112. सबके लिए यह केवल नंबर, पर कनक के लिए खुशी का खजाना. उसके अपने नाम में भी तो यही विशेषता थी, उल्टा-सीधा एक समान. तभी उसे बचपन में डालडा का डिब्बा बहुत अच्छा लगता था. उल्टा-सीधा एक समान से उसे 1991 की याद भी आ जाती थी. उस साल एम्स, दिल्ली की डॉ. टक्कर ने उसका यूट्रेस रिमूवल का ऑपरेशन किया था. दूसरे दिन जब वह उसे देखने आई तो डॉ. टक्कर ने उसे बताया था- ”तुम्हें तो शायद पता नहीं लगा होगा, मैंने 3 घंटे झुककर तुम्हारा ऑपरेशन किया था. उसका संतुलन बिठाने के लिए 3 घंटे वज्रासन में सिर ऊपर करके बैठना पड़ा, तब कहीं जाकर कमर सीधी हुई और मैंने कुछ खाया-पिया.”
संतुलन! स्मृतियों का परिंदा ऑस्ट्रेलिया उड़ चला था. उसे याद आई व्हील चेयर लेकर रोज सैर पर निकलने वाली 85 साल की ऑस्ट्रेलियन महिला कोह की. कोह यानी अवधी भाषा में इसका अर्थ क्रोध? लेकिन महिला का संतुलन गज़ब का था. उसकी निर्मल हंसी इतनी लाजवाब थी, कि लगता नहीं कि उसने कभी गुस्सा किया होगा. उसकी सुशिक्षा का ही यह परिणाम था, कि आज भी चलते-फिरते लोग उससे एक घंटा बतियाकर खुश होते हैं.
शिक्षा से परिंदा फिर भारत के बिगड़े बोलों के जाल में उलझ गया था. इन्हीं बिगड़े बोलों के कारण न तो संसद अपना काम सही ढंग से कर पा रही है, न ही सरकार. अंदर के दुश्मनों के साथ बाहरी दुश्मन भी वार करने से नहीं चूकता. शिक्षा के प्रचार-प्रसार से होने वाले फायदों से वह अनजान नहीं था. उसने शिक्षक को पढ़ाते हुए सुना था- ”किसी कारण से एक वृक्ष काटना पड़े, तो प्रकृति के संतुलन के लिए दस नए वृक्ष लगाओ” लेकिन असल में हो क्या रहा था? मानव अपनी मानवता भूलकर दस वृक्ष काटकर एक वृक्ष भी लगाने से कतराता है, कि फिर रोज इसको पानी देना पड़ेगा.
पानी? परिंदे को फिर याद आया. ”तीसरा महायुद्ध हुआ, तो पानी के कारण ही होगा”, यह कई बार वह सुन चुका था, लेकिन पानी की बरबादी का नजारा उसे रोज दिखाई देता था.
”जैसे उड़ि जहाज का पंछी फिरि जहाज पै आवै”, जहाज शब्द से कनक की स्मृतियों का परिंदा भी मोबाइल के मैसेज से पुनः वापिस आ गया था. सुदर्शन खन्ना का मैसेज था-
”अब इंतजार है 3113 का और आप यह कर सकती हैं, यानी फिर उल्टा-सीधा एक समान!”

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “परिंदा

  • लीला तिवानी

    आज अपना ब्लॉग में हमारा ब्लॉग नंबर है 2121. सुदर्शन खन्ना के शुभकामनामय मैसेज ने मन को सकारात्मक प्रोत्साहन से सराबोर कर दिया. सुदर्शन खन्ना बधाई के पात्र हैं.

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