ग़ज़ल -१
शेरनी भी पीछे हट गयी बछड़े की मां जब डट गयी हमारी कलम वो खरीद न सके लेकिन स्याही उनसे
Read Moreपहाड़ पर सर्दियों का मौसम आ चुका था। सर्दियों की शुरुआत में भरमौर गांव के एक गद्दी परिवार का भेड़ों
Read Moreशनि को भारतीय संस्कृति में बहुत अशुभ माना जाता है । अक्सर गाँवों में ही नहीं , अपितु शहरों में
Read Moreबहुत संज़ीदगी से मैं चल रहा था जीवन की उबड़ – खाबड़ पगडंडी पर कुछ – कुछ अपने को भी
Read Moreतन ने जितनी सही यातना और यन्त्रणा मन पाया। दोनों ने दिल को मथ -मथकर, क्रोध अग्नि को उपजाया।। हृदय
Read Moreसूर्य की प्रथम रश्मि शैशव काल में लुढ़कते कदमों से चल पड़ती है बिना गन्तव्य सोचे कभी तेज कभी मंद
Read Moreतेरी जब याद आती है तो दिल रोता बिलखता है तेरी तस्वीर देखे तो ये पागल सा मचलता है, तेरी
Read Moreनासा द्वारा खींचे गए “पिलर्स ऑफ़ क्रियेशन” अर्थात् “सृष्टि के स्तम्भ” नामक अति-प्रसिद्ध चित्र को देखकर दर्शाई गई ”चील निहारिका”
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