भजन/भावगीत

शिव स्तुति

हे महादेव   हे शिवशंकर, हे आशुतोष हे   गिरिवासी ।
हे जगद्नियंता जगपालक, हम हैं अबोध अनुचर दासी ।।
मद मत्सर माया मोह हमें, अपने फेरे में उलझाये ।
इस अन्तहीन से अंधकूप में, समझ नहीं कुछ भी आये ।।
सकल लोक आलोक चराचर, संचालित होते हरि कर से ।
जीव जन्तु देवासुर किन्नर, माया प्रेरित हैं हरिहर से ।।
निज कर्मों का करके अर्पण, बाबा के द्वारे हम आए ।
ठुकराओ चाहे अपनाओ, अवध आप से आस लगाए ।।
2-
(भगवान शिवशंकर पर आधारित कुंडलिया)
बाबा भोलेनाथ की, महिमा अपरम्पार ।
आशुतोष बनकर किये, सदा जगत उद्धार ।।
सदा जगत उद्धार करें शिव औघड़ दानी ।
मन वांछित परिणाम दिलाते हर बर्फानी ।।
बेलपत्र के साथ, भंग के गोले, बाबा ।
सुन लो अवध पुकार, हमारे भोले बाबा ।।
डॉ. अवधेश कुमार ‘अवध’

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 Awadhesh.gvil@gmail.com शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन