कविता

कितना दुष्कर है अश्लील लिखना !

कितना दुष्कर है प्रतिशब्द गढ़कर,
मानस के व्याभिचार को निकालना !

लिखना होगा मुझे एक गीत अश्लील सा,
ए ‘खुदा मेरे शब्दों को सम्भालना ! !

नीरज सचान

Asstt Engineer BHEL Jhansi. Mo.: 9200012777 email -neerajsachan@bhel.in