गीतिका/ग़ज़ल

कीजिये यकीन मेरा

कीजिये यकीन मेरा, कि ये गुस्ताखी नहीं।
और रखिए आप, इतनी रंजिशें काफी नहीं।।

आपको है क्या ज़रूरत, यूँ उठाने की कसम।
आदतें तो शख्सियत से इस तरह जाती नहीं।।

कर दिया होगा, रिहा करने का वादा आपने।
बुलबुलें कैद-ओ-कफ़स में, यूँ कभी गाती नहीं।।

पूछ कर न बारहां मुझको यूँ रुसवा कीजिये।
इतनी मारी ख्वाहिशें, कि ख्वाहिशें बाकि नहीं।।

सुन रही हूँ मैं, तसल्ली आप जी भर दीजिये।
आप क्या जानेंगे तन को आपके लागी नहीं।।

आप से दरख्वास्त है, कहीं और जाकर ढूंढिए।
आपके दिल की सदाएं, अब इधर आती नहीं।।

*डॉ. मीनाक्षी शर्मा

सहायक अध्यापिका जन्म तिथि- 11/07/1975 साहिबाबाद ग़ाज़ियाबाद फोन नं -9716006178 विधा- कविता,गीत, ग़ज़लें, बाल कथा, लघुकथा