कविता

अरविंद सवैया

अरविंद सवैया[ सगण ११२ x ८ +लघु ] सरल मापनी — 112/112/112/112/112/112/112/112/1

“अरविंद सवैया”

ऋतुराज मिला मधुमास खिला मिल ले सजनी सजना फगुहार।
प्रति डाल झुकी कलियाँ कुमली प्रिय फूल फुले महके कचनार।
रसना मधुरी मधुपान करे नयना उरझे हरषे दिलदार।
अँकवार लिए नवधा ललिता अँगिया लपटाय गई पिचकार।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ