कविता

चौकीदार…..

कौन है ये चौकीदार
किसे कहते है चौकीदार
यह सिर्फ एक नाम नहीं
एक पहचान है आत्मसम्मान है

देश की जान है
हर मौसम में, हर आफत में
दुख में तकलीफों में
समाज के हर तबकों में
गली में मोहल्लें में
इमारतों में कोठियों में

हर वो शख्स जो
सज्ज है रक्षा करने को
कटिबद्ध है सुरक्षा करने को
घर परिवार की, मान सम्मान की
देश की…..समाज की
जागता रहता है
सुरक्षा में तत्पर रहता है
आपके जानमाल की
देखभाल में खुद को
जोतता रहता है
सुरक्षा में तत्पर रहता है

सीमा पर प्रहरी भी तो
करते है रक्षा देश की
दुश्मनों से लोहा लेने को
सजग है चौकन्ने हैं
तभी तो आप और हम सब
चैन से सोते है
हम सब में भी तो पलता है….जीता है
आपके अंदर, हमारे अंदर
हर वक़्त चौकन्ना रहता है एक चौकीदार
हर दिल में रहता है एक चौकीदार।

*बबली सिन्हा

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