कविता

कुछ वक्त बिताऊँ अपने साथ

एक ख्वाहिश पलती है मेरे अंतर्मन में,
कुछ वक्त बिताऊँ अपने साथ,
अपने से बातें करूँ,
कुछ सुनूँ अपने आज,
कुछ सवाल करूँ अपने से,
पूछूँ उनके जवाब,

करूँ ख़ुद से वादा,
सजाऊँगी अपने सपने ज्यादा,
पूरा करूँ भी उन्हें हर बार,
जो देखूँ मैं बार-बार…

कभी ख़ुद से रूठूँ,
कभी मनाऊँ अपने को,
कभी अपने साथ करूँ पार्टी,
कभी नृत्य करूँ, झूमू गाऊँ मौज मनाऊँ,
कूदूँ फांदू ढोल बजाऊँ..

कभी कुछ राज खोलूँ,
अपने दिल की बात बोलूँ,
गलती पर अपने को दू सजा,
सफलता पर शाबासी दूँ हजार….

खुशियाँ बाँटूँ अपने साथ,
आँसू बहाऊँ अपने साथ
कभी पेड़ों से लटक जाऊँ,
परवाह ना करूँ मैं दुनिया की
सागर की लहरों से खेलूँ
बच्ची बन जाऊँ मैं आज..

कुछ वक्त गुजारूँ अपने साथ

शोभा  रानी गोयल

शोभा गोयल

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