गीतिका/ग़ज़ल

जीवन चक्र

मुसाफिर चलो आज रब देखने को
मिलेगा नहीं वक्त फिर सोचने को।

अरे देख लो सब गए रंक राजा
भजो राम को पल नही खेलने को।

गया बाल पन खेलने कूदने में
युवा पन गया बीत जग जाँचने को।

सदा ही जरूरत मुझे अर्थ की थी
कभी ना निगाहें गयी जानने को।

वयो वृध्द सारे बिताए जमाने
पुरानी हुई याद आ नाचने को ।

नजारे हजारों दिखेगें नयन से
रखे नाम सारे प्रभो बेचने को।

हुआ दूर दर से कभी जो यहाँ वो
खडे है सभी खेल अब हारने को ।

— रामचन्द्र ममगाँई पंकज
Ramchandra mamgain
देवभूमि हरिद्वार

रामचन्द्र ममगाँई पंकज

नाम- रामचंद्र ममगाँई । साहित्यिक नाम-पंकज । जन्मतिथि- 15 मई 1996 पिता का नाम- श्री हंसराम ममगाँई। माता का नाम- श्रीमति विमला देवी। जन्म स्थान-घनसाली टिहरी गढवाल उत्तराखंड। अस्थायी पता - देवपुरा चौक हरिद्वार उत्तराखण्ड। स्थाई पता- ग्राम मोल्ठा पट्टी ढुंगमन्दार घनसाली जिला टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड पिन को- 249181 मो.न. 9997917966 ईमेल- ramchandramamgain@gmail.com शिक्षा- शास्त्री और शिक्षाशास्त्री रचना साझा संकलन 1 अनकहे एहसास 2. एहसास प्यार का विशेष - चित् तरंगिणी त्रैमासिक पत्रिका का मुख्यसम्पादक । हिन्दी व संस्कृत के विभिन्न विषयों पर लेख व कविता अनेक पत्रिकाओं व अखबार में प्रकाशित ॥