राजनीति

लोगों की चुनावी समझ और मतदान

जैसे जैसे चुनाव का वक्त नज़दीक आता है पूरा देश चुनावी रंग में रंग जाता है। बच्चे,बूढ़े ,जवान सभी अपनी-अपनी समझ से अपनी पसंदीदा पार्टी  और राजनेताओं का गुणगान करने में लग जातें हैं। चाहे चाय की टपरी हो या खेल का मैदान, यहाँ तक कि घरों में टीवी देखते हुए भी एक ही परिवार के कई लोगों में पार्टियों को लेकर मतभेद हो ही जाता है। ऐसा होना भी चाहिए क्योंकि ये भारतीय लोकतंत्र है और यहां सबको अपने स्तर से नेताओं और उनकी पार्टियों को लेकर विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता मिली हुई है।

लेकिन कई बार अपनी पसंदीदा पार्टी का समर्थन करते और दूसरी पार्टी का विरोध करते हुए कुछ लोग अपनी मर्यादाओं को भी लांघ जातें हैं। देखा जाय तो इस बार का लोकसभा चुनाव सोशल मीडिया पर ही लड़ा जा रहा है और ये लड़ाई दो गुटों में लड़ी जा रही है। एक तो वो जो अपने पसंदीदा पार्टी व नेताओं की तस्वीरें और उनके द्वारा किये गए कार्यो को शेयर कर उनका समर्थन करते नजर आ रहें है। दूसरे वे जो केवल विरोध की राजनीति करतें है, ऐसे लोग अधिकतर सत्ताधारी पार्टी व इसके नेताओं का घृणित विरोध करतें नजर आ रहें हैं।
खैर जो भी हो आप एक ऐसे देश मे रह रहे है जहाँ आपको समर्थन करने के साथ-साथ निम्न स्तर का विरोध करने की भी छूट मिली हुई है।आपकीं जैसी मनोदशा हो वैसा कीजिये ,लेकिन समर्थन और विरोध में अंधे होकर नही। चुनाव नजदीक है और आप जिसे चुनेंगे वो अगले पांच सालों तक आपकी और देश की दशा और दिशा तय करेगा। इसलिए बेवजह समर्थन और विरोध करने से बेहतर है कि आप स्वंम से सम्बंधित मुद्दों को समझें,देश के लिए क्या जरूरी है और उस जरूरत को पूरा करने के लिए कौन सी सरकार उपयुक्त रहेगी,किसे वोट करने से देश सुरक्षित रहेगा,किसकी सरकार बनी तो देश और तेजी से तरक्की करेगा? ऐसे ही कई सवालों को अपने दिल और दिमाग मे जगह दीजिये ताकि आप कुतर्क से हट कर तर्क की राजनीति पर आ सकें और देश के सर्वांगीण विकास के लिए ऐसी सरकार का चयन कर सकें जो भारत को विश्वगुरु बनाने में योगदान दे सके। इसके लिए जरूरी है कि आप बढ़ चढ़कर मतदान में हिस्सा लीजिये,लोगों को मतदान का महत्व समझाइये और दिव्यांगों को पोलिंग बूथ तक ले जाकर अपना राष्ट्रधर्म निभाइये।
गौरव मौर्या

गौरव कुमार मौर्या

लेखक & विचारक पूर्व बीएचयू छात्र जौनपुर, उत्तर प्रदेश मो. 8317036927