कविता

ढाई आखर प्रेम के

ढाई अक्षर का शब्द होता प्रेम।
कितना पवित्र शब्द होता प्रेम।।
समर्पण की परिभाषा बनता।
सागर से भी गहरा होता प्रेम।।
राधा की तरह मीरां की तरह।
असीम व  अनित्य होता प्रेम।।
प्रेम से मधुरता आती है देखो।
किसी एक से ही होता है प्रेम।।
प्रेम से आत्मा परमात्मा होती।
 परमेश्वर से मिलन होता प्रेम।।
प्रेम सत्य होता प्रेम शाश्वत है।
ईश्वरीय तत्व दर्शन होता प्रेम।।
प्रेम सृजन करता है जीवन में।
विश्वास की दृढ़ नींव होता प्रेम।।
नियम संयम भी सीखता प्रेम।
इंसान से इंसान को होता प्रेम।।
जीवन का एक आधार है प्रेम।
सुख वैभव का सार होता प्रेम।।
कवि राजेश पुरोहित
भवानीमंडी

राजेश पुरोहित

पिता का नाम - शिवनारायण शर्मा माता का नाम - चंद्रकला शर्मा जीवन संगिनी - अनिता शर्मा जन्म तिथि - 5 सितम्बर 1970 शिक्षा - एम ए हिंदी सम्प्रति अध्यापक रा उ मा वि सुलिया प्रकाशित कृतियां 1. आशीर्वाद 2. अभिलाषा 3. काव्यधारा सम्पादित काव्य संकलन राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में सतत लेखन प्रकाशन सम्मान - 4 दर्ज़न से अधिक साहित्यिक सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित अन्य रुचि - शाकाहार जीवदया नशामुक्ति हेतु प्रचार प्रसार पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य किया संपर्क:- 98 पुरोहित कुटी श्रीराम कॉलोनी भवानीमंडी जिला झालावाड़ राजस्थान पिन 326502 मोबाइल 7073318074 Email 123rkpurohit@gmail.com