कुण्डली/छंद

महाभुजंगप्रयात सवैया

8 यगण, 24वर्ण, सरल मापनी — 122/122/122/122/122/122/122/122

प्रभो का दिदारा मिला आज मोहीं, चली नाव मेरी मिली धार योंही।

सभी मीत मेरे सभी साधनों का, सहारा मिला नाथ जी सार सोहीं।।

न था को किनारा न कोई सहारा, खुली नाव माझी मझधार त्योंही।

सभी काम यूँ हीं बनाएँ विहारी, कृपा आप की नाथ साकार होहीं।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ