हास्य व्यंग्य

कौन बना मूर्ख

बहुत करीबी सहेलियां है रेहा , स्नेहा । दोनों खाना पीना , कॉलेज जाना साथ साथ करती है । कॉलेज में उनकी दोस्ती की मिसाल दी जाती सभी उनकी गहरी दोस्ती से चिढ़ते है । कोई कोई न कोई उनमे दरार पैदा करने की कोशिश करता रहता । पर मजाल है जो उनकी दोस्ती टूटी हो ।
दोनों की शादी भी इत्तफाक से एक ही शहर में हुई उनके पति भी दोस्त बन गए ।
एक बार एक अप्रैल को उन्होंने अपनी पत्नी को अप्रैल फूल बनाने की सोची बस लग गए काम पर । रेहा के पति ने कहा,” स्नेहा मुझे बोल रही है कि मैं बहुत स्मार्ट हूँ , मेरी हर अदा उसको पसन्द है ” ।
” हम्म्म्म……….”
” तुमको बोल रहा हूँ एक दिन ये स्नेहा मुझे तुमसे छीन लेगी उसको बोल दो ये ठीक नहीं “।
” अच्छा , मैं अभी खबर लेती हूं उसकी ….. पर वो बोल तो ठीक रही है मुझे भी आप अच्छे नहीं लगते ।
” क्या …….”
” हाँ , चलो कोई नहीं आप उससे कर लो दोस्ती मैं भी उसके पति से कर लेती हूं ,उनके पास समय तो है मेरे लिए । देखते नहीं जब भी हम जाते है तब रेहा, रेहा कर मेरी तरफ करते है ।
अगले दिन रेहा किसी जरूरी काम से बिज़ी होने के कारण फोन नही उठाती तो उसका पति बहुत परेशान हो जाता है । शाम को वो स्नेहा के पति से मिल सब बोलने की सोचता है ।
शाम को दोनों अपनी फिक्स जगह मिलते है दोनों बात कर ही रहे होते है कि ” अप्रैल फूल बनाया , हमको मज़ा आया … कहती हुई दोनों उनके सामने आ गई । दोनों के पतियों के चेहरे देखने वाले है ।
” आपको क्या लगा आप लोग ही बना सकते है अप्रैल फूल हम नहीं , देखा हमको बना रहे थे हमने आपको ही बना दिया ।
तौबा तौबा तुम दोनों की दोस्ती में दरार और अप्रैल फूल बनाना बहुत मुश्किल है । तूम दोनों को बनाना था हम ही बन गए ।

सारिका औदिच्य

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।