धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

फटाक-फटाक- 4

तेजी से बदलते इस युग में खबरें भी तेजी से बदलती रहती हैं. तेजी से बदलती इन खबरों को सहेजने के लिए प्रस्तुत है एक नवीन प्रयास फटाक-फटाक. फटाक-फटाक के इस चौथे अंक में ढेर सारी सकारात्मक खबरें संक्षेप में, लेकिन सबसे पहले बात हमारी 2 जीवनोपयोगी सूत्रात्मक काव्योक्तियों की-

”अपनी सारी कामनाएं,
सभी संकल्प ईश्वर को समर्पित कर दो,
तब तुम दिव्य हो, तुम ही ईश्वर हो.”

”नाचते समय इस तरह नाचो, जैसे तुम्हें और कोई देख ही नहीं रहा.
प्यार करो तो ऐसे करो, जैसे तुम्हें और कोई दिखाई ही न दे.
जियो तो ऐसे जियो, जैसे स्वर्ग यहीं पर है.”

अब महादेवी वर्मा के जीवन का एक अद्भुत प्रसंग-
बौद्ध भिक्षुणी बनना चाहती थीं महादेवी वर्मा लेकिन गुरु देखकर मन बदल गया. तय समय पर महादेवी वर्मा को महास्थाविर गुरुजी के सम्मुख उपस्थित किया गया. उन्होंने अपना मुख पंखे से ढक रखा था. महादेवी वर्मा उनका मुख नहीं देख पाईं. जब सचिव उनको बाहर छोड़ने आए, तो महादेवी वर्मा ने इसका कारण पूछा. ”गुरुजी -मुख के दर्शन नहीं करते.” सचिव ने कहा
महादेवी वर्मा बिना भिक्षुणी बने ही लौट आईं. उनका विचार था- ”आत्मा न स्त्री है न पुरुष। पुरुष या स्त्री तो यह शरीर होता है जो नश्वर है। इस तथ्य से अवगत होने के बावजूद महास्थाविर इसे हृदयंगम नहीं कर पाए हैं। इसीलिए वह स्त्री मुख की ओर नहीं देखते. इतने कमजोर मनोबल वाला हमें क्या दीक्षा देगा और हम क्या साधना कर पाएंगी?’ इस तरह महादेवी बौद्ध भिक्षुणी बनते-बनते रह गईं और उनके रूप में हिंदी साहित्य जगत को छायावाद का एक महान स्तंभ मिला.

भारत के पहले फील्ड मार्शल का जन्मदिन-
2 अप्रैल को भारत के पहले फील्ड मार्शल सैम होर्मूसजी फ्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ की जन्मतिथि थी. वे भारत के 8वें सेनाध्यक्ष थे और 1971 में उन्हीं के नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान को हराया था. इस युद्ध में 90000 सैनिकों को बंदी बनाया जो एक ऐतिहासिक रेकॉर्ड है.

अब चुनाव के कुछ रोचक किस्से-
17 सेकंड में 27 बार : सांस फूली, फिर भी बोलते रहे कमल, कमल, कमल-
मेरठ से बीजेपी उम्मीदवार राजेंद्र अग्रवाल के लिए वोट की अपील करते हुए बीजेपी व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक विनीत अग्रवाल शारदा सांस रोककर कमल… कमल… बोलते रहे. उनका 35 सेकंड का विडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

सूर्या के सूर्य बने अमित शाह-
‘अपनों’ से अलग-थलग पड़े तेजस्वी सूर्या के लिए खुद अमित शाह ने किया प्रचार. बीजेपी उम्मीदवार तेजस्वी सूर्या के लिए मंगलवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह अचानक बेंगलुरु पहुंचे और उनके रोड शो में शामिल रहे. दरसअल स्थानीय बीजेपी नेता दिवगंत अनंत कुमार की इस सीट से सूर्या को टिकट मिलने के चलते नाराज हैं.

कांग्रेस घोषणापत्र में मोदी जी के लिए संदेश-
कांग्रेस के घोषणापत्र ने यह स्पष्ट किया है कि अब उसे बीजेपी के गोरक्षा जैसे मुद्दों पर रक्षात्मक रुख अपनाने की जरूरत नहीं है और वह अपने अजेंडे को बढ़ा सकती है. राफेल मुद्दे पर भी राहुल गांधी ने जिस से तीखा और सीधा वार किया, उससे स्पष्ट है कि उन्हें बढ़त मिली है.

टली बिल्लियों की नसबंदी-
मुंबईः आचार संहिता की वजह से बीएमसी ने टाली बिल्लियों की नसबंदी योजना, अब जून से होगी शुरू. बिल्लियों की जनसंख्या में कमी लाने के लिए बीएमसी की 1 अप्रैल से बिल्लियों की नसबंदी योजना शुरू होने वाली थी, लेकिन लोकसभा चुनाव के मद्देनजर लगी आचार संहिता की वजह से अब इस योजना के शुरू होनें में देर लगेगी.

लोकसभा चुनाव: ढेरों वादे लेकिन बुंदेलखंड राज्य की मांग न बन पाई चुनावी मुद्दा
बुंदेलखंड, जिसे अलग राज्य बनाने की मांग लंबे वक्त से की जाती रही. सियासत होती रही, वादे किए जाते रहे लेकिन मांग अब तक पूरी नहीं हुई. वर्षों बीत चुके हैं लेकिन यह मांग आज भी ठंडे बस्ते में है.

चुनाव एक्सप्रेस:
‘मुफ्त का पैसा नहीं रोजगार दो, हम खुद कमा लेंगे’- यह मत है केरल के लोगों का. लोकसभा चुनाव के लिए जनता का मूड जानने के लिए नवभारत टाइम्स चुनाव में लोगों का मूड जानने के लिए एक्सप्रेस नाम से सीरीज चला रहा है. उसके तहत विभिन्न राज्यों में जाकर वहां के लोगों का मूड जानकर सर्वे किया जा रहा है.

पैन को आधार से लिंक करने की समय-सीमा बढ़कर 30 सितंबर हुई
केंद्र सरकार ने पैन को आधार से लिंक करने की अंतिम तिथि बढ़ाकर 30 सितंबर कर दी है. हालांकि, इस साल आयकर रिटर्न भरते वक्त आधार की जानकारी देना अनिवार्य होगा.

कुछ और महत्त्वपूर्ण खबरें-
मंदी के बाद ऐड कैंपेन मार्केट में बहार, IPL-चुनाव सीजन में सितारे बटोर रहे करोड़ों

वायनाड: गोबर से राहुल के हेलिपैड का रंग-रोगन, आदिवासियों को नहीं पता ‘कौन’ आ रहा है

लुंगी-कुर्ते में एटीएम लुटेरे को दबोचकर बोली पुलिस- अप्रैल फूल बनाया

पुलवामा हमले के बाद बालाकोट में हुए एयरस्ट्राइक से मरे होंगे 300 आतंकवादी: विंग कमांडर अभिनंदन के पिता

ब्रुनेईः नए कानून में गे सेक्स पर पत्थर मार-मारकर जान लेने की सजा

पतंग की चाइनीज डोर से कटी बाइकसवार की गर्दन, मौत

राहुल गांधी का PM नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला, ‘चुनाव के बाद जांच, जेल में होगा चौकीदार’

3 का डेटा खरीदा, 6 रुपये का बेचा…ऐसे ठग लिए 200 करोड़
​​पुलिस ने बताया कि पटेल शॉपिंग कंपनियों के कर्मचारियों से साठगांठ कर प्रति व्यक्ति का डाटा 2-3 रुपये में खरीद लेता था. इस डाटा को देश भर के फर्जी कॉल सेंटरों को 5 से 6 रुपये प्रति व्यक्ति की दर से बेच देता था.

जीएसटी की दरें घटी पर कम होने के बजाय बढ़ सकते हैं प्रॉपर्टी के दाम-
​​इंडस्ट्री अभी यह तय नहीं कर पाई है कि बिना इनपुट क्रेडिट लिए जीएसटी की घटी दरों का लाभ ग्राहकों तक कैसे पहुंचाया जाए. डिवेलपर्स का कहना है कि नई दरें लागू होने के साथ ही नवरात्र शुरू होने के चलते मकानों की बुकिंग में तेजी जरूर आएगी, लेकिन कीमतें घटने की संभावना नहीं है.

फटाक-फटाक के इस अंक में आज बस इतना ही. आप भी कामेंट्स में फटाक-फटाक खबरें लिखकर हमारे साथ साझा कर सकते हैं.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

5 thoughts on “फटाक-फटाक- 4

  • लीला तिवानी

    प्रिय ब्लॉगर सुदर्शन भाई जी, आपने तो ढेर सारे खूबसूरत प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत कर दिये. आपका यह प्रयास स्तुत्य है. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    फटाक -फटाक ख़बरें, आप दोनों की बहुत इम्प्रेसिव हैं .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, आपकी प्रतिक्रिया भी इम्प्रेसिव है.

  • सुदर्शन खन्ना

    अशोक खाड़े की कहानी पढ़ लेने के बाद लोगों में भी नयी उम्मीद जगती है। 1973 में जब अशोक 11वीं की बोर्ड की परीक्षा में बैठने जा रहे थे तब उनके पास पेन की निब बदलने के लिए चार आने नहीं थे। एक टीचर ने चार आने देकर पेन की निब बदलवा दी ताकि वे परीक्षा लिख सकें। लेकिन आज अशोक खाड़े करोड़ों रुपयों का कारोबार करने वाली कम्पनियों के माकिल हैं। एक बहुत बड़े आर्थिक साम्राज्य पर उनका शासन चलता है। अब अशोक अपने गाँव लक्ज़री कार में जाते हैं लेकिन लगभग 40 साल पहले वो इसी गाँव में बिना चप्पल के घूमा-फिरा करते थे।
    महाराष्ट्र की कल्पना सरोज ने अपनी ज़िंदगी में छुआछूत, गरीबी, बाल-विवाह, घरेलु हिंसा और शोषण सब कुछ देखा है , खुद अनुभव भी किया है। वो इन सब का शिकार भी हुई हैं। उनके लिए तो एक समय हालात इतने बुरे हो गए थे कि उन्होंने ख़ुदकुशी की भी कोशिश की। लेकिन, जब उन्होंने ने एक बार संकल्प किया और ज़िंदगी की चुनातियों का पूरी ताकत लगाकर मुकाबला शुरू किया तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज उनकी गिनती भारत के सफल उद्यमियों और उद्योगपतियों में होती है । अपनी कामयाबियों और समाज-सेवा के लिए उन्हें भारत सरकार ने “पद्मश्री” से सम्मानित किया है। ‘
    गुजरात के रतिलाला मकवाना को इंडियन पेट्रोकेमिकल लिमिटेड (आईपीसीएल) के पेट्रोकेमिकल्स बेचने की एजेंसी मिली तो प्लास्टिक का सामान बनाने वाले उद्यमियों ने उनसे सामान खरीदने से मना किर दिया, क्योंकि वो दलित हैं। अपने संघर्ष के दिनों में उनके साथ सामाजिक रूप से काफी भेदभाव हुआ, लेकिन उन्होंने शिखर पर पहुंचने की अपनी धुन में हिम्मत नहीं खोयी। आज वे पेट्रोकैमिकल की ट्रेडिंग करने वाली कंपनी गुजरात पिकर्स इंडस्ट्रीज के चेयरमैन हैं। उनकी कंपनी आईओसी और गेल इंडिया की डिस्ट्रीब्यूटर हैं। उनकी एक और कंपनी रेनबो पैकेजिंग हैं। दोनों कंपनियों का टर्नओवर 450 करोड़ रुपये से ज्यादा है।
    पंजाब के मलकित चंद ने जब होजरी बनाने का कारोबार शुरू किया तो उन्हें बाजार से 15-20 रुपए प्रति किलो महंगा कपड़ा खरीदना पड़ा था, क्योंकि वो दलित हैं। एक समय था जब मलकित चंद की माँ सिलाई कढ़ाई कर गुजारा किया करती थीं। आज हालात बदले हुए हैं। होजरी के लिए कपड़ा बनाने से लेकर सिलाई तक से जुड़े सारे कामों को अंजाम देने वाली उनकी अपनी कंपनियां है और ये भी करोड़ों रुपये का कारोबार कर रही हैं।
    गुजरात की सविताबेन ने घर-घर जाकर कोयला बेचने से शुरूआत की थी। संयुक्त परिवार के भरण-पोषण में अपने पति की मदद करने के मकसद से उन्होंने कोयला बेचना शुरू किया था। आज सविताबेन स्टर्लिग सेरेमिक प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी की मालिक हैं। इस कंपनी की सलाना टर्न ओवर करोड़ों रूपये का है और ये घरों के फर्श पर लगने वाली टाइल्स बनाती है।
    1964 में जब भगवान गवाई के पिता का आक्समिक निधन हो गया , तब उनकी माँ अपने चारों बच्चों को लेकर अपने गाँव से करीब ६०० किलोमीटर दूर मुंबई आ गयीं। मजदूरी कर अपने बच्चों का पालन -पोषण करने वाली इस माँ की एक संतान यानी भगवान गवाई ने आगे चलकर अपने परिश्रम और प्रतिभा के बल पर दुबई में अपनी कंपनी खोली। भगवान गवाई आज करोड़पति कारोबारी हैं।
    हर्ष भास्कर आगरा के जिस परिवार में पैदा हुए उसमें पढ़ने-लिखने की परंपरा ही नहीं थी, लेकिन हर्ष के इरादे इतने बुलंद थे कि उसने आईआईटी जैसे देश के सबसे मशहूर संस्थान में दाखिला पाने में कामयाबी हासिल ही। उन्होंने आगे चलकर कोटा टूटोरियल की स्थापना की। ये ट्यूटोरियल आज हज़ारों विद्यार्थियों को बड़े-बड़े शैक्षणिक संस्थाओं में दाखिले के लिए होने वाली परीक्षा की तैयारी में कोचिंग से मदद करता है।
    देवजी भाई मकवाना ने अपने अनपढ़ पिता से प्रेरणा लेकर कारोबार किया और करोड़ों के मालिक बने। देवजी भाई को लगा कि उनके पिता जब अनपढ़ होकर कारोबार कर सकते हैं तो वो पढ़-लिख कर उसने भी ज्यादा कारोबार कर सकते हैं।
    हरि किशन पिप्पल ने शुरुआत की बैंक से १५ हज़ार का क़र्ज़ लेने के बाद। आज वो जूते-चप्पल बनाने वाली कंपनी के मालिक और करोड़ों में कारोबार कर रहे हैं।
    अतुल पासवान डाक्टर बनना चाहते थे। मेडिकल की कोचिंग के दौरान अतुल मेढक का खून देखकर बेहोश हो गए। इसके बाद उन्होंने फैसला किया कि वो कुछ और बनेंगे लेकिन डाक्टर नहीं। अतुल ने जापानी भाषा सीखी और इससे उनकी ज़िंदगी ही बदल गयी।
    देवकीनन्दन सोन ने भी प्रतिभा की ताकत पर जूतों के कारोबार से शुरुआत कर आगरा में ताज महल के करीब होटल बनवाकर नयी बुलंदियां हासिल कीं।
    सरथ बाबू का जन्म एक ऐसे गरीब परिवार में हुआ जहाँ माँ को अपने बच्चों को खाना देने के बाद खाने ले लिए कुछ भी नहीं बचता था। माँ को कई बार भूखा सोना पड़ा। माँ की तकलीफों को दूर करने का संकल्प लेकर सरथ ने जो कदम आगे बढ़ाये तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।
    जेएस फुलिया ने मेहनत के जो रुपये एक कंपनी में निवेश किये थे वो कंपनी भाग गयी। फुलिया जातिगत भेद-भाव का भी शिकार हुए। लेकिन, हार ना मानने के उनके जज़्बे ने उन्हें कामयाबियां दिलाई।
    संजय क्षीरसागर ने देश के बड़े-बड़े उद्योगपतियों की कहानियों से प्रेरणा ली और उन्हीं के रास्ते पर चल पड़े ।
    स्वप्निल भिंगरदेवे को पिता के अपमान की एक घटना ने इतनी चोट पहुंचाई कि उन्होंने साबित कर दिखाया कि दलित भी कारोबार के क्षेत्र में अपने झंडे गाड़ सकते हैं।

    मिलिंद खांडेकर लम्बे समय से पत्रकारिता से जुड़े हैं। आज तक, स्टार न्यूज़ जैसे लोकप्रिय समाचार चैनलों में वे बड़े पदों पर कार्यरत रहे हैं।
    वे इंदौर में पले-बढे़ और उन्होंने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से पढ़ाई की। उन्होंने टाइम्स सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज से प्रशिक्षण लिया और 1991 में उन्हें हिंदी में शानदार प्रशिक्षु के लिए ‘राजेंद्र माथुर सम्मान’ मिला।
    पत्रकारिता के क्षेत्र में उन्हें करीब २५ सालों का अनुभव है। फिलहाल वे नोएडा में मीडिया कंटेंट ऐंड कम्युनिकेशंस सर्विसेज (आई) प्रा.लि. (एमसीसीएस), मुंबई के प्रबंध संपादक हैं, जिनके तहत एबीपी न्यूज, एबीपी आनंदा और एबीपी माझा न्यूज चैनल आते हैं।
    अंग्रेजी पाठकों की सुविधा के लिए ” दलित करोड़पति-15 प्रेरणादायक कहानियाँ ” का अंग्रेजी में अनुवाद भी किया जा चुका है। ये किताब अग्रेज़ी में “दलित मिलियनियर – फिफ्टीन इंस्पायरिंग स्टोरीज़” के नाम से उपलब्ध है।

  • लीला तिवानी

    खबर फटाक-फटाक-
    पीएम नरेंद्र मोदी को यूएई के सर्वोच्च सम्मान में से एक ‘जायेद मेडल’ से नवाजा जाएगा। यूएई के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायेद अल नाहयान ने इसका ऐलान किया।

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