कविता

कविता – मेरा दिल

तेरे दिल की तन्हाई मे मेरा दिल भी रोता है,
तुझसे मै ये कैसे कह दूं रातो को ना सोता है।
तुझसे ही है प्यार अनवरत कैसे मै बतला दूं,
कैसे मै समझा दूं तुझको कैसे  मै दिखला दूं।
सांस चलेगी जब तक मेरी तुझसे प्रेम करूंगी,
सुन ले प्रियतम मेरे दिल की दुनिया से न डरूंगी।
सुनी गलियां सूनी राहें तुझको बुला रही हैं,
बिरह की मारी प्रेम पूजारीन खुद को सता रही है।
मोह ले गई श्याम सुरतिया रोता दिल बेचारा,
गंगा के जैसे पावन है पावन प्रेम हमारा।
दरस की प्यास है सुन ले प्यारे एक बार दिखाजा,
प्रेम की परिभाषा को प्यारे एक बार बतला जा।
तेरे दिल को कैसे बताऊं कुछ कुछ अब होता है,
तेरे दिल की तन्हाई में मेरा दिल भी रोता है।
कवि प्रशान्त मिश्रा 

प्रशान्त मिश्रा प्रसून

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