भजन/भावगीत

सरसी छंद रचना – दुर्गा स्तुति

नमो नमो है माता दुर्गे ,तेरी जय जयकार ।
सिंह वाहिनी मात भवानी ,वन्दन बारम्बार ।।
तुम ही सृजन रूप में माता ,पालक रूप तुम्हार ।
कल्प अंत संहाररूपिणी ,जग तेरा विस्तार ।।
शत रूपा  है नाम तुम्हारा ,धरती सौ- सौ रूप ।
भक्त भजें हर रूप मातु का ,माँ के रूप अनूप ।
महिषासुर वध करके कीन्हा ,देवों पर उपकार ।
नमो नमो है माता दुर्गे ,तेरी जय जयकार ।।
चन्ड- मुंड मर्दन तुम करती ,चामुंडा  धर रूप ।
रक्तबीज दानव विशाल का ,रक्त पिया मुख सूप ।
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण ,फैला है उजियार ।।
नमो नमो है माता दुर्गे ,तेरी जय जयकार ।।
शुम्भ-निशुम्भ दैत्य सँहारे  ,चूर किया अभिमान ।
करें आरती सुर नर मुनि जन ,माँ करती कल्याण ।
मनवांछित फल देकर करदो ,भक्तों पर उपकार ।।
नमो नमो है माता दुर्गे ,तेरी जय जयकार ।।
नारायण  सँग वास तुम्हारा ,माँ अम्बे जगदम्ब ।
दुख संकट की घड़ी विकल है ,दर्शन दो अवलम्ब ।
शरणागत को शरण मे लेलो , शीश झुके है द्वार ।।
नमो नमो है माता दुर्गे ,तेरी जय जयकार ।।
रीना गोयल ( हरियाणा)

रीना गोयल

माता पिता -- श्रीओम प्रकाश बंसल ,श्रीमति सरोज बंसल पति -- श्री प्रदीप गोयल .... सफल व्यवसायी जन्म स्थान - सहारनपुर .....यू.पी. शिक्षा- बी .ऐ. आई .टी .आई. कटिंग &टेलरिंग निवास स्थान यमुनानगर (हरियाणा) रुचि-- विविध पुस्तकें पढने में रुचि,संगीत सुनना,गुनगुनाना, गज़ल पढना एंव लिखना पति व परिवार से सन्तुष्ट सरल ह्रदय ...आत्म निर्भर