गीतिका/ग़ज़ल

ये ज़िन्दगी

ख़्वाहिशों फरमाइशों पर टिकी ये ज़िन्दगी
वादों और इरादों की भरमार है ज़िन्दगी
रूठने और मनाने का सिलसिला है ज़िन्दगी
बातों और जज़्बातों का सैलाब है ज़िन्दगी
दौलत और शोहरत का खेल है ज़िन्दगी
विश्वास अविश्वास पर झूलती ज़िन्दगी
रंजिशों और बंदिशों की मारी ये ज़िन्दगी
प्यार और तकरार में उलझी ये ज़िन्दगी
उलझती सुलझती फिर संभलती ये ज़िन्दगी
आशा निराशा में बँटी ये ज़िन्दगी
रिश्तों को किश्तों में ढोती ये ज़िंदगी
अपनों के सपनों में गुज़रती ये ज़िंदगी
हकीकत है ज़मीं,ज़रूरतों का आसमां ये ज़िन्दगी
रश्क और अश्क से भरमार ये ज़िन्दगी
हौसले और जोश को थामे ये ज़िन्दगी
कभी गिराती फिर उठाती ,सिखाती ये ज़िन्दगी

आशीष शर्मा ‘अमृत’

आशीष शर्मा 'अमृत'

जयपुर, राजस्थान