कहानी

एक अफ़साना प्यार का

आज अदिति के आफिस का पहला दिन था,छोटे शहर से आयी हुई लड़की थी थोड़ी सी घबराहट उसके पूरे व्यक्तिव पर हावी थी। ऑफिस में घुसते ही सबने उसका वेलकम किया। उसने अपनी घबराहट पर काबू करते हुए हल्के से मुस्कुरा कर सबका अभिवादन किया और अपने सीट पर बैठ गयी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि काम कहाँ से शुरू करे,तभी उसके फ़ोन की घण्टी बजी —

” हेलो मिस अदिति! आप मेरे चैम्बर में आइए तुरंत।” उसके सीनियर रूद्र की आवाज आयी।
“मे आई कम इन सर?”
“यस ऑफकोर्स।” अदिति ने देखा रुद्र भड़के हुए किसी स्टाफ पर झल्ला रहे थे और स्टाफ गर्दन हिलाते हुए सुन रहा था, वो जाकर खड़ी हो गयी। रुद्र ने उसे बैठने का इशारा किया। वो जितना अपने घबराहट पे काबू करने की कोशिश कर रही थी उतनी ही गलतियां उससे हो रही थी, बैठने चली तो चेयर से धड़ाक से टकराई, सॉरी बोलकर बैठ गयी तो हाथ से फ़ाइल छूट के गिर पड़ी।
स्टाफ के जाने के बाद रुद्र ने उसे एक गहरी नज़र से देखा और बोला- “आज जॉब का पहला दिन है इसलिए नर्वस हैं आप, डोंट वरी एक दो दिन में सब ठीक हो जाएगा।” अदिति को उम्मीद नहीं थी कि वो इस तरह से उससे बात करेगा क्योकि पूरे आफिस में वो एक नम्बर का खड़ूस माना जाता था।
धीरे-धीरे वो भी इस बड़े शहर और नये काम के साथ तालमेल बिठा चुकी थी। उसे बस अपनी बुआ के पास रहना अखर रहा था, पर वो जानती थी कि पापा उसे अकेले रहने की इजाजत नहीं देंगे। बुआ के देवर जो कि फूफाजी के सबसे छोटे भाई थे, उन्ही के साथ रहते थे वो एक कॉलेज में लेक्चरर थे। प्रवीन पूरे घर में एक धीर गम्भीर व्यक्तिव माने जाते थे पर पता नहीं उनकी आँखें उनके व्यक्तित्व के साथ मेल नहीं खाती थीं। अदिति को हमेशा एहसास होता था कि वो एक बहुत ही अजीब नज़र से उसे देखते थे और हमेशा उससे बातें करने के बहाने खोजते रहते थे।
इधर आफिस में उसे लगता था रुद्र हमेशा काम के बहाने उसे अपने आसपास रखना चाहते थे जिसकी वजह से आफिस के लोग अदिति को एक अलग ही नजर से देखने लगे। जब भी उसका फ़ोन बजता सबके चेहरे पर हल्की मुस्कान तैरने लगती थी।
कई बार उसे महसूस हुआ रुद्र उसको गौर से देखते थे पर जब उनकी नजरें मिलती तो वो काम पर या फ़ाइल पर नजर घुमा लेते।
एकदिन वो ऑफिस के बाहर खड़ी थी ऑटो के लिए तभी रुद्र की गाड़ी उसके सामने रुकी और वो अचकचा कर उधर देखने लगी।
” अदिति गाड़ी में बैठ जाइए मैं आपको ड्राप कर देता हूँ।”
“थैंक यू सर पर मैं चली जाऊँगी।”
“आज ऑटो की स्ट्राइक है चलो मैं आपको घर तक छोड़ देता हूँ।” रूद्र ने कड़क आवाज में कहा तो वो अनमने ढंग से गाड़ी में बैठ गयी। रास्ते मे दोनों चुप थे कि अचानक रूद्र ने उससे कहा– “देखो अदिति मैं घुमाफिरा के बात नहीं करूँगा, मैं तुम्हे पसंद करता हूँ और तुमसे शादी करना चाहता हूँ अगर तुम्हारी मर्ज़ी हो तो?” ये बात इतनी अविश्सनीय थी कि अदिति को समझ नहीं आया कि वो क्या बोले।रूद्र के बारे में उसने अच्छा नही सुना था सब यही कहते थे कि बड़े डॉक्टर का बेटा है किसी को कुछ समझता नहीं हमेशा अकड़ में रहता है।
“सर आप मुझे यहीं उतार दीजिए मैं घर चली जाऊँगी।” कहते हुए उसने दरवाजा खोलने की कोशिश की।
“ठीक है उतर जाओ पर मुझे तुम्हारे जवाब का इंतेज़ार रहेगा।”
वो घर चली आयी उसका मूड उखड़ा हुआ था, अपने रूम में जाकर लेट गयी। तभी प्रवीन की आवाज आई कि भाभी चाय के लिए बुला रहीं हैं। अदिति ने थके होने का बहाना बनाया और आराम करने लगी।
अगले दिन ऑफिस में वो परेशान थी वो रूद्र के सामने जाने से बचना चाहती थी पर काम ही ऐसा था कि उसके सामने गए बिना कोई काम ही होता।
एकदिन रूद्र ने फिर वही बात दुहराई तो अदिति झल्ला गयी ” सर प्लीज मुझे इस टॉपिक पे बात नहीं करनी वैसे भी मुझे अभी शादी वादी नहीं करनी हैं। मेरे पापा पुराने ख्यालों के हैं वो ये सब सुनेगें तो मुझे जॉब भी नहीं करने देंगें।”
” अदिति मैं तुम्हेँ बहुत चाहता हूँ और वादा करता हूँ तुम्हें बहुत खुश रखूँगा, तुम्हारे लिए मैं तुम्हारे पापा से भी बात करने को तैयार हूँ।” ये सुनकर अदिति घबड़ा गयी।
“पर मैं आपको नहीं चाहती सर इसलिए प्लीज अब कभी ऐसी बात मत कीजियेगा।”
” ठीक है मैं तुमपे कोई दवाब नहीं डालता पर एक बात याद रखना जीवन के किसी भी मोड़ पे मेरी जरूरत हो तो कभी संकोच मत करना।मैं कहीं भी रहूँ तुम तक पहुँच जाऊंगा।
सच में रूद्र ने फिर कभी ऐसी बात नहीं की पर उसकी आँखों की कशिश अदिति हमेंशा महसूस कर रही थी।
     एक दिन उसे पता चला बुआ के ससुराल में शादी पड़ी है जहां बुआ को सपरिवार जाना होगा। वो घर मे अकेली रहेगी, पता नहीं क्यो उसे ये सुनकर बहुत राहत महसूस हुई उसे लगा कुछ दिन तो उसे दो आँखों की चुभन बर्दाश्त नहीं करनी पड़ेगी। आखिर बुआ लोगों के जाने का दिन भी आ गया पर उसकी खुशी उस समय रफूचक्कर हो गयी जब बुआ ने बताया कि किसी जरूरी काम की वजह से प्रवीन उनके साथ नही जा रहे वो शादी के दिन पहुंचेंगे। बुआ को संतोष था कि घर मे अकेली लड़की के साथ कोई तो रहेगा। प्रवीन की इमेज ऐसी थी कि अदिति कुछ कह भी नहीं सकती थी।
सबके जाने के दो दिन तक तो सब ठीक रहा पर तीसरी रात को उसकी नीद अचानक से टूटी और उसे लगा उसके कमरे में कोई और भी है, वो उठकर लाइट जलाने के लिए सोच ही रही थी कि लगा उसके हाथ मे कुछ चुभा है, फिर तो वो उठने की कितना भी कोशिश करती रही उसका शरीर हिल भी नही पा रहा था। कोई आकर उसके कान के पास फुसफुसाया ” जानेमन चुपचाप पड़ी रहो ज्यादा हिलने डुलने की कोशिश मत करो।” फिर अदिति की आँखों से रक्त बहता रहा और उसका शरीर नुचता रहा। ” जानेमन किसी को बताने की कोशिश भी मत करना नहीं तो कोई विश्वास तो करेगा नहीं ऊपर से तुम्हारी ही गति बनेगी, समझी ना?” उसने उसके गीले गालों को थपथपाते हुए कहा और कमरे से बाहर चला गया। अदिति पूरी रात उसी तरह निश्चेत पड़ी रही जब उसका शरीर हिलने- डुलने लायक हुआ तो किसी तरह उठकर बैठी और फुट-फुटकर रो पड़ी। वो पूरे दिन कमरे में पड़ी रही उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे किसे बताये कौन सुनेगा उसकी बात, कौन करेगा उसपे विश्वास? तभी उसे मोबाइल का ध्यान आया, उसने देखा उसके पापा का मिस्ड कॉल था, दो मिस्ड काल उसके आफिस से, और एक नम्बर पे उसकी आँखें ठहर गयीं। वो घण्टो सोचती रही कि उसे क्या करना है? आधी रात हो चुकी थी उसने मोबाइल उठाया और उस नम्बर को डायल कर दिया। ” आप अभी मुझसे मेरे घर के बाहर मिल सकते है?”
“20 मिनट का टाइम दो।” उधर से आवाज आई और फ़ोन डिसकनेक्ट हो गया।
  अदिति को उम्मीद नहीं थी कि वो इतनी रात में आएगा पर फिर भी वो घर के बाहर निकल आयी। 20 मिनट बीतते -बीतते एक काले रंग की कार उसके सामने आकर रुक गयी और वो बिना कुछ कहे जाकर कार में बैठ गयी।
“आप गाड़ी स्टार्ट कीजिए।”
” पर ये तो बताओ जाना कहाँ है?”
” कहीं भी चलिए पर यहाँ से दूर।”
रूद्र को समझ नहीं आ रहा था कि इतनी रात को वो इस हालत में उसके साथ कहीं भी जाने को क्यों बोल रही है, पर वो चुपचाप गाड़ी चलाता रहा। वो गौर से उसके चेहरे को देख रहा था जिसकी आँखों से लगातार आंसू बह रहे थे पर वो कुछ बोल नहीं रही थी।
रूद्र ने गाड़ी रोक दी और पूछा – ” क्या हुआ अदिति तुम एक घन्टे से मेरे साथ गाड़ी में हो पर कुछ बोल नहीं रही आखिर बात क्या है? कुछ तो बताओ?
फिर क्या था अदिति बिलख पड़ी और अपने साथ घटी घटना को विस्तार से सुना दिया जिसे सुनकर रूद्र का कलेजा कांप उठा गुस्से से उसका चेहरा लाल हो गया।
” रूद्र एक बात पूछूँ आपसे, क्या अब भी आप मुझसे शादी करेगें?” बोलने के साथ ही अदिति को लगा अरे ये क्या बोल गयी वो? रूद्र सोचता रहा गया “आखिर मैं इसका लगता क्या हूँ किस विश्वास पर इसने इतनी बड़ी घटना मुझसे कहा डाली, जिसके बारे में इसने अपने घरवालों तक को नहीं बताया?”
“अदिति तुम्हें क्या लगता है इस घटना के बाद मेरा फैसला बदल जायेगा, नहीं कभी नहीं मेरा फैसला अब भी वही है, मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ अगर तुम्हारी मर्ज़ी हो तो?” सुनते ही अदिति उससे लिपट के रो पड़ी वो उसे अपनी बाहों में समेटे रहा वो रोती रही। रूद्र ने उसे चुप नहीं कराया वो चाहता था आंसुओं के रास्ते उसका दर्द बह जाये।
” अदिति कुछ दिन रुक जाओ मैं अपने मम्मी डैडी से बात करके उन्हें तुम्हारे पापा के पास लेकर आता हूँ, ठीक ना?” अब चलो घर चलते हैं।
अगले ही दिन अदिति अपने शहर अपने माँ पापा के पास वापस लौट गई, उसने उनसे बस यही कहा कि जॉब पसंद नहीं आया इसलिए छोड़ दिया और जगह अप्लाई किया है।
एक दिन सभी बैठक में बैठकर चाय पी रहे थे तभी न्यूज पे दिखाया जाने लगा कि मुम्बई के एक बड़े हॉस्पिटल में गैरकानूनी काम किया जा रहा था जिसके मालिक प्रद्युम्न राठौड़ को गिरफ्तार किया गया है। सबकी नजर टीवी पर थी तभी अदिति ने देखा रूद्र किसी के साथ कैमरे वालों से बात कर रहा है,वो समझ गयी प्रद्युम्न राठौड़ रूद्र के पापा हैं।
“कैसे लोग हैं पैसे के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं।” अदिति के पाप ने कहा।
” नहीं पापा उनके जानकारी में ये सब नहीं हो रहा था देख नहीं रहे मीडिया क्या बोल रही?”
अंत में ये साबित हो गया कि प्रद्युम्न दोषी नही हैं, सो उनको बरी कर दिया गया।
एक दिन रूद्र के साथ उसके मम्मी पापा अदिति के लिए रिश्ता लेकर आए, पहले तो अदिति के पापा ने मना कर दिया पर अदिति के जिद करने पर मान गए।
    “देखो अदिति मैंने तुम्हें अपना बना ही लिया, तुम मेरी जिंदगी हो तुम बिन जी नहीं सकता मैं। तुम्हारे साथ जिंदगी पूरी हो गयी मेरी।” सुहागरात को रूद्र की बातें सुनकर अदिति अपने सारे गम भूल गयी।
  एकदिन सुबह वो चाय पर रूद्र का इंतेज़ार कर रही थी तभी उसकी नज़र अखबार पे पड़ी उसने अखबार पलटना शुरू ही किया कि एक खबर पे उसकी नजर ठहर गयी – ” कल एक भीषण एक्सीडेंट में  विटी कालेज के लेक्चरर प्रवीन गम्भी रूप से घायल।” न्यूज़ में लिखा था कि प्रवीन अब कभी चल फिर नहीं सकेंगे।
तभी रूद्र की आवाज आई ” अरे स्वीटहार्ट क्या कर रही हो?”
“कुछ नहीं चाय लेकर आपका वेट कर रही थी।”
“क्या हुआ पेपर में कुछ खास खबर?”
“नहीं रूद्र बस रोज की खबरें है।”
रूद्र ने मुस्कुराते हुए अदिति का माथा चूमा और कहा”इस दुनिया मे सबको अपने किये की सजा मिलती है जान मेरी।”
       कविता सिंह

कविता सिंह

पति - श्री योगेश सिंह माता - श्रीमति कलावती सिंह पिता - श्री शैलेन्द्र सिंह जन्मतिथि - 2 जुलाई शिक्षा - एम. ए. हिंदी एवं राजनीति विज्ञान, बी. एड. व्यवसाय - डायरेक्टर ( समीक्षा कोचिंग) अभिरूचि - शिक्षण, लेखन एव समाज सेवा संयोजन - बनारसिया mail id : samikshacoaching@gmail.com