कविता

फिर सदाबहार काव्यालय-22

पृथ्वी की प्रकृति

पृथ्वी की इस प्रकृति ने दिया है हमें जीवन दान
पृथ्वी की मिट्टी के हर कण ने दिया है ये वरदान
पृथ्वी ने सींच कर दी पौधों को असीस
पृथ्वी ने अपने द्रव्यों से बनाया हमें रईस

पृथ्वी के आंगन में खेलते सागर और नदियाँ
पृथ्वी के सीने पे सजे पर्वत और वादियाँ
पृथ्वी की कोख में छुपे हैं रहस्य हज़ार
पृथ्वी के मौसमों से झूमती जीवन में बहार

पृथ्वी की प्रकृति में हैं प्रेम के अनेक रंग
फूलों का सौंदर्य और महक देता है उमंग
पृथ्वी के सीने में बोई जाती है कनक
पृथ्वी की पेशानी पे खिलखिलाता है धनक

पृथ्वी ने दिल में बसाया बारिश की बूँदों सा अपनापन
पृथ्वी ने ही जुदाई में दिखाया मरुस्थल सा सूखापन
पृथ्वी में है स्वयंभू के निर्माण की बहार
पृथ्वी में ही है शिव के त्रिशूल सा संहार

पृथ्वी के प्यार में किसी को परखा नहीं जाता
क्योंकि परखने से कोई अपना नहीं रहता
पृथ्वी के राज में तो अशर्त ही प्रेम बँटता है
सूरज हो या चाँद, सही वक़्त पे नभ में उतरता है

पृथ्वी की प्रकृति में कुछ भी ज़ल्दबाज़ी में नहीं घटता
फिर भी हर प्रक्रिया और निर्माण सहजता से पूरा होता
पृथ्वी ने श्रम से प्रकृति के हर रूप में ज़िन्दगी बसाई
जीवन के हर कण में है पृथ्वी के प्रेम की परछाई
⁃ डा० कनिका वर्मा

परिचय: डाक्टर कनिका वर्मा अमरीका और कनाडा में शिक्षा के क्षेत्र में अकादमिक परामर्शदाता (academic mentor) और अंग्रेज़ी की अध्यापिका हैं। वे Art of Writing और English as a Second Language (ESL) पढ़ाती हैं। वे टैक्सस स्टेट यूनिवर्सिटी और टैक्सस क्रिशियन यूनिवर्सिटी में भूगोल और सांख्यिकी की अध्यापिका रह चुकी हैं। डाक्टर वर्मा को उनके अनुसंधान, शिक्षण, और सेवाकार्य के लिये १४ पुरस्कार और अन्य मान्यताओं और छात्रवृत्तियों से सम्मानित किया गया है। उन्होंने भूगोल शिक्षण, भूस्थानिक सोच (Geospatial Thinking), सक्रिय अध्ययन (active learning), मानवीय और सांस्कृतिक भूगोल (human and cultural geography), और टैक्सस एटलस प्रोजैक्ट के क्षेत्रों में अनुसंधान कार्य किया है। वे अपने सम्मानित अनुसंधान प्रोजैक्टों को ३५ से अधिक अकादमिक और व्यावसायिक सम्मेलनों (academic and professional conferences) में प्रस्तुत कर चुकी हैं। वे अमेरिकन असोसिएशन औफ़ ज्यौगरफ़र्ज़ (AAG), नैशनल काउंसिल फ़ौर ज्यौगरफ़िक ऐजुकेशन (NCGE), रेस, ऐथनिसिटी, और प्लेस (REP), और सोसाइटी फ़ौर द स्टडी औफ़ सोशल प्रौब्लम्स (SSSP) जैसे संस्थानों के समीक्षा और निर्णय पैनलों (review and judging panels) का हिस्सा हैं। वे इन्टर्नैशनल वूमैन्ज़ क्लब (IWC), औल इंडिया फ़ाउन्डेशन फ़ौर पीस ऐंड डिज़ास्सटर मैनेजमैंट (AIFPDM), इंडिया इन्टर्नैशनल इंटिलैक्चूअल सोसाइटी (IIIS), और दीनबंधु छोटू राम चेअर फ़ौर सस्टेनेबल डैव्लपमैंट (DCRCSD) जैसे संस्थानों में अधिकरी पद पर भी स्थापित हैं। वे Youth For Understanding (YFU) नामक अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक विनिमय संस्था (international educational exchange organization) में Dallas-Fort Worth की क्षेत्र प्रतिनिधि रह चुकी हैं ।

डाक्टर वर्मा हिन्दी और अंग्रेज़ी में कविताएँ लिखती हैं। उनकी प्रथम अंग्रेज़ी कविताओं की पुस्तक “Just a Breath Away” मई २०१८ में प्रकाशित हुई है: http://www.amazon.com/dp/0692127763 । इस लिंक पे उनका कवि इंटरव्यू देख सकते हैं: https://www.youtube.com/watch?v=gFnyPRxbtRM । उनकी कुछ हिन्दी कविताओं पर गीत भी बनाए जा रहे हैं: https://youtu.be/FqyM5E6GWp4 ।

फिर सदाबहार काव्यालय के लिए कविताएं भेजने के लिए ई.मेल-
tewani30@yahoo.co.in

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “फिर सदाबहार काव्यालय-22

  • लीला तिवानी

    प्रिय सखी कनिका जी, आपने कृपापूर्वक हमें अपनी ढेर सारी सुंदर रचनाएं सदाबहार काव्यालय- 2 के लिए भेजी हैं, आपका हार्दिक स्वागत है. आपकी यह काव्य-रचना ‘पृथ्वी की प्रकृति’ पृथ्वी की प्रकृति के बारे में सब कुछ कहने में समर्थ है. यह रचना सदाबहार और सार्वकालिक होने के कारण कालजयी बन सकेगी, ऐसा हमारा विश्वास है, शेष हमारे सुधि पाठक-कामेंटेटर्स बताएंगे. एक बार पुनः आपका हार्दिक स्वागत और बहुत-बहुत शुक्रिया.

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