गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

ग़ज़ल

न्याय का दीन इंतजार करें
दोस्त को दोस्त एतवार करें|
फक्त सच को तुरंत व्यक्त करें
आप हमको न बेकरार करें |
देश रक्षा में सावधान रहे
देश द्रोही न शर्मसार करें |
देश मजबूत है, बिकाऊ’ नहीं
रहनुमा देश उस्तुवार करें |
अब चुनावों में दागदार न हो
भ्रष्ट को आप नागवार करें |
दुष्ट दुर्जन सभी का’ त्याग करें
चोर डाकू को’ दरकिनार करें |
भ्रष्ट लोगों से’ आप दूर रहे
स्वच्छ सब व्यक्ति को दुलार करें |
सिलसिला नेक काम चलता’ रहे
नेक कर्मों को बार बार करें |
जो पड़ोसी लड़ाई’ करता है
दुश्मनों से युद्ध आर पार करें |
आदमी है समान दुनिया में
सम्यता का सदा प्रचार करें |
प्रेम इज़हार में भी’ प्रेम रहे
प्रेयसी बात पर विचार करें |
छोट भैया को’ मार करना क्या?
सर्वदा शेर का शिकार करें |
उस्तुवार =मजबूत

कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !