लघुकथा

बिना हाथों वाली बच्ची

10 साल की बच्ची की मां की खुशी का आज ठिकाना ही नहीं था. उसकी बच्ची ने अमेरिका में नेशनल हैंडराइटिंग कॉम्पिटिशन जो जीता था. अब यह जीत ही उसकी पहचान बनेगी.
पहचान! कितना अच्छा नाम था उसका ”सारा”! चीन में यह नाम बहुत लोकप्रिय भी है. हिंदी में सारा का मतलब पूरा और गुजराती में अच्छा, लेकिन उसे सारा कहता ही कौन था! उसका तो नाम ही पड़ गया था- बिना हाथों वाली बच्ची. यही उसका नाम भी था और पहचान भी.
बहुत खूबसूरत सारा हिनेस्ले को न जाने क्यों जगत नियंता ने जन्म ही बिना हाथों के दिया था. सारा को हाथ न होने की कमी तो अवश्य महसूस होती होगी, लेकिन उसने नहीं कहना भी नहीं सीखा था और न ही हारना.
”सारा का नया अर्थ ‘जीत’ लिया जाए, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. सारा अंग्रेजी और मेंडारि‍न लिखना जानती है. वो हर चीज को करने के लिए तत्पर रहती है. वो हमारी रॉकस्टार है. उसको जो काम दिया जाता है, वो उसे बखूबी करती है. वो अपना बेस्ट देती है.” उसकी थर्ड ग्रेड की टीचर शेरिल शुरीला का कहना है.
”सारा अपने बाजुओं से पेंसिल को पकड़ती है. दोनों बाजुओं से वो इस खूबसूरती से लिखती हैं जैसे कोई आर्टवर्क हो. वो बड़ी ही खूबसूरती से शब्दों को शेप देती है. सारा पेंट करना, ड्राइंग करना अच्छे से जानती है. वो बहन वेरोनिका के साथ स्वीमिंग भी करती है.” सारा की मां कैथरीन हिनेस्ले का कहना है.
”जिस तरह से शब्द बनते हैं, उनको शेप देने में मुझे बहुत मजा आता है. ये किसी आर्ट से कम नहीं है.” सारा का कहना है.
इसी साल कर्सिव राइटिंग सीखना शुरु करने वाली सारा ने कर्सिव राइटिंग के लिए ‘2019 निकोलस मैक्सिम अवॉर्ड’ भी जीता है.
एक ट्रॉफी और 500 डॉलर जीतने वाली ‘नेशनल हैंडराइटिंग चैम्पियन’ सारा हर रोज कुछ-न-कुछ नया सीखने की कोशिश करती है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “बिना हाथों वाली बच्ची

  • लीला तिवानी

    सारा हिनेस्ले का यह प्रेरक प्रसंग हमें हमारे पाठक-कामेंटटर भाई रविंदर सूदन ने भेजा था. रविंदर भाई, आपका बहुत-बहुत शुक्रिया.

Comments are closed.