कविता

बचपन तू बहुत याद आता है

सच में
बचपन
तू बहुत
याद आता
है

भूलने की कोशिशें
बहुत की
मगर
तू बडा़
तड़पाता है

वो विशेष बन
ठन्डे पानी का अहसास
पावों को आज भी
गुदगुदाता है
ऐ बचपन तू
रोज याद आता है

वो हलवे का स्वाद
चनें की सब्जी का स्वाद
आज भी
मन को
ललचाता है
ऐ बचपन
तू रोज याद आता है

वो गिनना
चवन्नी अठन्नी लगन से
मन का गणित
अब गड़बडा़ता है
ऐ बचपन
तू रोज याद आता है ।

अल्पना

अल्पना हर्ष

जन्मतिथी 24/6/1976 शिक्षा - एम फिल इतिहास ,एम .ए इतिहास ,समाजशास्त्र , बी. एड पिता श्री अशोक व्यास माता हेमलता व्यास पति डा. मनोज हर्ष प्रकाशित कृतियाँ - दीपशिखा, शब्द गंगा, अनकहे जज्बात (साझा काव्यसंंग्रह ) समाचारपत्रों मे लघुकथायें व कविताएँ प्रकाशित (लोकजंग, जनसेवा मेल, शिखर विजय, दैनिक सीमा किरण, नवप्रदेश , हमारा मैट्रौ इत्यादि में ) मोबाईल न. 9982109138 e.mail id - alpanaharsh0@gmail.com बीकानेर, राजस्थान