लघुकथा

सिलसिला

कभी-कभी सामान्य से दिखने वाले चित्र भी अतीत के गवाक्ष खोल देते हैं. सैजला के साथ भी ऐसा ही हुआ था. चित्र में एक तरफ पुल पर बुलेट ट्रेन थी, दूसरी ओर झुग्गी-झोंपड़ी का डेरा, यानी आधुनिकता और पुरातनता का अनोखा मेल, जो प्रायः हर जगह दिखाई देता है. बरबस सैजला को उस दिन की याद आ गई.
उसके पति स्वयं एक प्रत्याशी के रूप में अपने क्षेत्र में चुनाव-प्रचार कर रहे थे- ”भाइयों और बहिनों, एक बार आप अपना वोट देकर मुझे सेवा का मौका तो दीजिए, आपकी सारी मांगें पूरी हो जाएंगी.”
”आप पहले ये झुग्गी-झोंपड़ी का डेरा तो हटवाइए, आप जानते नहीं हैं, कि इनमें रहने वाले अवांछित तत्वों ने हमारी मां-बहिनों-बेटियों का घर से निकलना मुहाल कर दिया है.” एक श्रोता की जायज मांग थी.
”मुझे इसका पूरा अंदाजा है. आप पहले मुझे सक्षम तो बनाइए, बस फिर काम हुआ समझिए.” छुटभैये नेता जी ने आश्वाकन दिया.
टी. व्ही. पर पति का भाषण सुनकर सैजला का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया था. ”ये झुग्गी-झोंपड़ी का डेरा हट जाएगा, तो हमारे घर पर सारा दिन खटने वाली कमली कहां से आएगी और फिर साहब जी को नजदीक रहने वाला ड्राइवर कहां से मिलेगा?” उसने पति से अनबोला करने का निर्णय ले लिया था.
पति के घर आने पर उसने ऐसा ही किया भी था. घर आकर पति ने खाना लाने को कहा तो ”जिनको झुग्गी-झोंपड़ी का डेरा हटवाने का भाषण सुनाकर आए हो, उन्होंने सेवा नहीं की क्या?” सैजला बरस पड़ी थी.
”भागवान, मुझे तुम्हारे गुस्से का पहले से ही पता था, इसलिए मैंने खाने का ऑर्डर दे दिया है, आओ तुम भी बैठो, खाना आता ही होगा.” सैजला का अर्थ होता है ‘पर्वतों की बेटी’ और वह अपने अनशन पर पर्वत की भांति अटल थी.
”ये राजनीति के दाव-पेंच हैं, समझा करो. अभी वादा ही तो किया है न! समय आने दो, जीत गया तो थोड़ी दूर जो खाली जगह पड़ी है, वहां पहले कमली और ड्राइवर के लिए पक्के कमरे बनवा दूंगा, फिर झुग्गी-झोंपड़ी वालों को बुलडोजर चलाने का नोटिस मिल जाएगा. जिसको पक्का कमरा चाहिए, पहले जेब ढीली करें. वादा भी पूरा हो जाएगा और हमारी जेब भी भर जाएगी.” पानी का घूंट गटककर नेता जी ने कहा, ”हमेशा से यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा है और चलता रहेगा.”
पर्वत की बेटी-सी पत्नि, सैजला नामक नदी की तरह सिलसिले के इस प्रवाह में बह गई थी.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “सिलसिला

  • लीला तिवानी

    सैजला: सेजल नाम से यह नाम मिलता जुलता है, लेकिन इसका अर्थ काफी अलग है। सैजला एक नदी का नाम है। सैजला का अर्थ होता है ‘पर्वतों की बेटी’। यह देवी पार्वती का भी एक नाम है।
    चुनाव में झुग्गी-झोंपड़ी का डेरा हटने का वादा, वादों का सिलसिला ऐसे ही चलता रहता है,

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