गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

लिपटता हुआ सा लगे गुल शजर से
धनक सा लगे है, कसकता जिगर से
मचलती उसाँसें यही कह रहीं हैं
के गुज़रा है महबूब शायद इधर से
महक आरही है मिरी धड़कनों से
यही लग रहा है ,कि चूमा नज़र से
गमकने लगी रातरानी तभी से
दिखाई दिये वो गुज़रते इधर से
शगूफे विगसने लगे हैं हुलस के
निहारा उसीने ,नशीली नजर से
कि बाहें मचलने लगीं हैं ये अब तो
हसीं है ये आलम उसी के असर से
रागिनी स्वर्णकार (शर्मा)
इंदौर

रागिनी स्वर्णकार (शर्मा)

1- रचनाकार का पूरा नाम- श्रीमती रागिनी स्वर्णकार (शर्मा) 2- पिता का नाम-श्री पूरन चंद सोनी 3- माता का नाम -श्रीमती पार्वती 4- पति / पत्नी का नाम- श्री अरुण शर्मा 5- वर्तमान/स्थायी पता -डायमंड रेजीडेंसी, a सेक्टर सिलिकॉन सिटी राऊ ,इंदौर ,जिला-इंदौर मध्यप्रदेश 6- फोन नं/वाट्स एप नं. - 9754835741 7- जन्म / जन्म स्थान-बेगमगंज ,जिला- रायसेन जन्मतिथि 01,/05/1970 8- शिक्षा /व्यवसाय- बी.एस-सी.,एम .ए.(हिंदी,इंग्लिश) एम.एड. 9- प्रकाशित रचनाओं की संख्या-- 300 रचनाएँ प्रकाशित 10- प्रकाशित रचनाओं का विवरण । (लगभग 300 रचनाएँ समाचार पत्र ,संचार एक्सप्रेस ,निशात टाईम्स ,रीडर एक्सप्रेस भोपाल, लोकजंग भोपाल,दैनिक भास्कर भोपाल,देशबन्धु भोपाल ,से प्रकाशित हो चुकी हैं ) संकल्प शालेय पत्रिका का 7 वर्ष से सम्पादन