गीतिका/ग़ज़ल

मुझे तालीम है मिट्टी की खुशबू की

मैं अपने कामों में ईमान रखता हूँ
सो सबसे अलग पहचान रखता हूँ

बना रहे हिन्दोस्तान मेरा शहंशाह
अपने तिरंगे में ही प्राण रखता हूँ

सब इंसान लगते हैं मुझे एक जैसे
तासीर में हमेशा भगवान् रखता हूँ

है महफूज़ जहाँ मुझ जैसे बन्दों से
सच से लैश अपनी जुबां रखता हूँ

मुझे तालीम है मिट्टी की खुशबू की
अपने जहन में संविधान रखता हूँ

सलिल सरोज

*सलिल सरोज

जन्म: 3 मार्च,1987,बेगूसराय जिले के नौलागढ़ गाँव में(बिहार)। शिक्षा: आरंभिक शिक्षा सैनिक स्कूल, तिलैया, कोडरमा,झारखंड से। जी.डी. कॉलेज,बेगूसराय, बिहार (इग्नू)से अंग्रेजी में बी.ए(2007),जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय , नई दिल्ली से रूसी भाषा में बी.ए(2011), जीजस एन्ड मेरी कॉलेज,चाणक्यपुरी(इग्नू)से समाजशास्त्र में एम.ए(2015)। प्रयास: Remember Complete Dictionary का सह-अनुवादन,Splendid World Infermatica Study का सह-सम्पादन, स्थानीय पत्रिका"कोशिश" का संपादन एवं प्रकाशन, "मित्र-मधुर"पत्रिका में कविताओं का चुनाव। सम्प्रति: सामाजिक मुद्दों पर स्वतंत्र विचार एवं ज्वलन्त विषयों पर पैनी नज़र। सोशल मीडिया पर साहित्यिक धरोहर को जीवित रखने की अनवरत कोशिश। आजीविका - कार्यकारी अधिकारी, लोकसभा सचिवालय, संसद भवन, नई दिल्ली पता- B 302 तीसरी मंजिल सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट मुखर्जी नगर नई दिल्ली-110009 ईमेल : salilmumtaz@gmail.com