कविता

मैं जिंदा हूं 

मैं जिंदा हूं
आज भी तुममें और
कुछ-कुछ खुद में।
सांसे रुक चुकी है
धड़कनें बिक चुकी है।
फिर भी सांस लेता हूं
कही न कही तुममें।
वक्त बीत चुका है
सब कुछ खो चुका है।
फिर भी कुछ लम्हें बाकी है
जो किताब-ऐ- पन्नों में
संभाल कर रखे हुए है।
न आंखों में नमी है
न जीवन में किसी की कमी है
फिर भी हिमपात की तरह
कुछ जमे हुए
बचे हुए अश्रु  है,
जो आज भी दिल के गहराइयों में
किसी सुनसान कोने में
पड़े हुए बिखल रहे है।
— राजीव डोगरा 

*डॉ. राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश Email- Rajivdogra1@gmail.com M- 9876777233