कविता

रोशनी की तलाश जारी है 

रोशनी की तलाश जारी है
जिंदगी का इम्तिहान जारी है
परवाह नहीं करता मैं किसी की
जीवन को हंस कर बिताना जारी है
खुद से करता हूं संघर्ष बहुत
अपने अंतर्मन से लड़ाई अभी जारी है
नहीं मिलता हर मुकाम अपनी चाहत से
दिल को बहला के आगे बढ़ना जारी है
बहुत उलझनें है हर रिश्तो में यहां
लोगों को समझना अभी जारी है
रिश्तो की अहमियत बहुत है जिंदगी में
बिखरे हुए रिश्तो को समेटना जारी है
जज्बातों का तूफान साथ लिए चलता हू
वक्त बेवक्त आंखें छलक जाना जारी है
मोहब्बत का समुंदर दिल में रखता हूं
लोगों के दिलों को छूना अभी भी जारी है
आशीष शर्मा “अमृत “

आशीष शर्मा 'अमृत'

जयपुर, राजस्थान