धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

विशेष सदाबहार कैलेंडर-134

1.If you stand for a reason,
Be prepared to stand alone like a tree,
And if you fall on the ground,
Fall like a seed that grows back to fight again.

2.Life is 3 ex, ex. ex.
Yesterday was experience,
Today is experiment,
Tomorrow is expectation.
Use your experience, in your experiment, to achieve your expectation.

3.जरा संभल के चलना ऐ दोस्त,
तारीफ के पुलों के नीचे मतलब की नदी बहती है.

4.कंटीली झाड़ियों पर ठहरी हुई बूंदों ने,
बस यही बताया है,
पत्तों ने साथ छोड़ा तो क्या,
कुदरत ने तुझे मोतियों से सजाया है.

5.खुशी थोड़े समय के लिए सब्र देती है,
लेकिन,
सब्र हमेशा के लिए खुशी देता है.

6.बचा ले जो हर तूफां से,
उसे ‘आस’ कहते हैं,
बड़ा मजबूत है ये धागा,
जिसे ‘विश्वास’ कहते हैं.

7.जो सामने जिक्र नहीं करते,
वो भीत्र-ही-भीतर बहुत फिक्र करते हैं.

8.जीवन की किताबों पर बेशक नया कवर चढ़ाइए,
परंतु बिखरे पन्नों को,
पहले प्यार से तो चिपकाइए.

9.तारीफ के मोहताज नहीं होते सच्चे लोग,
क्योंकि,
कभी असली फूलों पर इत्र नहीं लगाया जाता.

10.ठहरोगे एक पांव पर तो थक जाओगे,
धीरे-धीरे ही सही, लक्ष्य की ओर चलते रहिए.

11.होकर मायूस न यूं,
शाम की तरह ढलिए,
जिंदगी एक भोर है,
सूरज की तरह निकलिए.

12.कुछ हंसकर बोल दो,
कुछ हंसकर टाल दो,
परेशानियां तो बहुत हैं,
कुछ वक्त पर डाल दो.

13.जिन्दगी को भरपूर जियो,
उसे सुलझाने की कोशिश न करो
चलते वक्त के साथ चलते चलो,
वक्त को बदलने की कोशिश न करो….
दिल खोल कर सांस लो,
अंदर -ही-अंदर घुटने की कोशिश न करो….!
कुछ बातें ईश्वर पर छोड़ दो,
सब कुछ खुद सुलझाने की कोशिश न करो……!!

14.शब्दों से माला भी सजती है,
शब्दों से छुरियाँ भी चलती हैं,
शब्द से ही टपकता शहद,
शब्द से ही टपकता जहर,
शब्दों का है खेल अजब,
शब्द ही ढाते हैं गजब.

15.शब्द-शब्द संभाल कर बोलिए,
शब्द के हाथ न पांव,
एक शब्द में है औषधि,
एक शब्द में है घाव.

16.मुझसे दोस्त नहीं बदले जाते लाख दूरी होने पर,
लोगों के भगवान बदल जाते हैं, एक मुराद न पूरी होने पर.

17.शब्दों के इत्तेफाक में यूँ बदलाव करके देख,
तू देख कर ना मुस्करा, बस मुस्करा कर देख.

18.बोल मीठे न हों तो हिचकियां भी नहीं आतीं,
घर बड़ा हो या छोटा,
अगर ‘मिठास’ न हो हो,
तो ‘इंसान’ क्या ‘चींटियां’ भी नहीं आतीं!

19.सादगी से बढ़कर कोई श्रंगार नहीं होता
और
विनम्रता से बढ़कर कोई व्यवहार नहीं होता

20.चार वेदों का अर्थ न जानो तो कोई बात नहीं,
परंतु
समझदारी, जवाबदारी, वफादारी और ईमानदारी,
इन चार शब्दों का मर्म जानो,
तो भी जीवन सार्थक हो जाए.

21.जिसकी सोच में आत्मविश्वास की महक है,
जिसके इरादों में हौसले की मिठास है,
और
जिसकी नीयत में सच्चाई का स्वाद है,
उसकी पूरी जिंदगी महकता ‘गुलाब’ है.

22.वक्त और हालात सदा बदलते रहते हैं,
लेकिन अच्छे रिश्ते और अच्छे दोस्त कभी नहीं बदलते.

23.खुद के बारे में,
न किसी किसी पीर से पूछो,
न किसी किसी फकीर से पूछो,
बस कुछ देर आंखें बंद करके अपने ज़मीर से पूछो.

24.ज़र्रे-ज़र्रे पर खुदा की निगाहे करम है,
न तुम पर ज्यादा न हम पर कम है.

25.दान करने से रुपया जाता है, ”लक्ष्मी” नहीं,
घड़ी बंद करने से घड़ी बंद होती है, ”समय” नहीं.
झूठ छुपाने से झूठ छुपता है, ”सच” नहीं.

26.माना दुनिया बुरी है, सब जगह धोखा है,
लेकिन हम तो अच्छे बनें, किसने रोका है!

27.रिश्ते मौके के नहीं,
भरोसे के मोहताज होते हैं.

28.रिश्ते होते हैं.
One time
हम निभाते हैं.
Some time
याद किया करो
Any time
आप खुश रहें
All time
यही दुआ है मेरी
Life time.

29.कोई दौलत पर नाज करते हैं,
कोई शोहरत पर नाज करते हैं,
जिसके साथ आप जैसा दोस्त हो,
वो अपनी किस्मत पर नाज करते हैं.

30.वक्त कहता है,
”मैं फिर न आऊंगा,
मुझे खुद नहीं पता
तुझे हंसाऊंगा या रुलाऊंगा
जीना है तो इस पल में जी ले,
क्योंकि
मैं किसी भी हालत में,
इस पल को रोक नहीं पाऊंगा.

31.जिंदगी में टेंशन ही टेंशन है.
फिर भी इन लबों पर मुस्कान है,
क्योंकि जीना जब हर हाल में है,
तो मुस्कुराके जीने क्या नुकसान है!

प्रस्तुत है पाठकों के और हमारे प्रयास से सुसज्जित विशेष सदाबहार कैलेंडर. कृपया अगले विशेष सदाबहार कैलेंडर के लिए आप अपने अनमोल वचन भेजें. जिन भाइयों-बहिनों ने इस सदाबहार कैलेंडर के लिए अपने सदाबहार सुविचार भेजे हैं, उनका हार्दिक धन्यवाद.
हर सुबह एक नया सदाबहार अनमोल वचन निकालने के लिए आप हमारी इस ऐप कम वेबसाइट की सहायता ले सकते हैं-
https://www.sadabaharcalendar.com/

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “विशेष सदाबहार कैलेंडर-134

  • लीला तिवानी

    कमज़ोर होते हैं वो लोग, जो शिकवा किया करते हैं,
    उगने वाले तो पत्थर का सीना चीर के भी, उगा करते हैं.

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