गीत/नवगीत

नारी

जिसके  बिन जीवन मे तम है ,वह प्रकाश ही  नारी है।
घर -आँगन जो सुरभित करती ,सुमन सुशोभित  क्यारी है ।
त्याग ,समर्पण ,दया,शीलता ,से मिलकर नारी बनती  ।
कभी तोड़ने अहं दुष्ट का ,चंडी रूप धरा करती  ।
भिन्न -भिन्न रुपों को धारे ,नव दुर्गा  अवतारी है ।
घर -आँगन जो सुरभित करती ,सुमन सुशोभित  क्यारी है ।
नारी है बहते पानी सम ,हर स्थिति में ढल जाती  ।
पुत्र पले जब लाड़ चाव से ,पुत्री यूँ ही पल जाती  ।
जननी  भी है जग पालक भी ,नहीं किसी क्षण  हारी है।
घर -आँगन जो सुरभित करती ,सुमन सुशोभित  क्यारी है ।
नमन करें इस महा शक्ति को ,वंदन  प्रेम प्रदाता को ।
संस्कार शाला नारी को ,अखिल विश्व की  ज्ञाता को ।
इस दुलार के कर्जदार हम ,बार- बार  आभारी हैं।
घर -आँगन जो सुरभित करती ,सुमन सुशोभित  क्यारी है ।
रीना गोयल ( हरियाणा)

रीना गोयल

माता पिता -- श्रीओम प्रकाश बंसल ,श्रीमति सरोज बंसल पति -- श्री प्रदीप गोयल .... सफल व्यवसायी जन्म स्थान - सहारनपुर .....यू.पी. शिक्षा- बी .ऐ. आई .टी .आई. कटिंग &टेलरिंग निवास स्थान यमुनानगर (हरियाणा) रुचि-- विविध पुस्तकें पढने में रुचि,संगीत सुनना,गुनगुनाना, गज़ल पढना एंव लिखना पति व परिवार से सन्तुष्ट सरल ह्रदय ...आत्म निर्भर