गीतिका/ग़ज़ल

गजल/ गीतिका

अब कहां लोग प्यार करतें हैं ।
इश्क में बस शिकार करतें हैं।।
पूरे अरमान करने को वो तो।
रूप देखो हजार करतें है।।
आँखों में अब नही होता पानी।
बातें तो बेशुमार करतें हैं।।
चांदनी रात में जो खत लिक्खे।
उनको वो तार तार करतें हैं।।
उनको परवाह है नही साहिब।
दिल में बस वो दरार करतें हैं।।
बेवफा भी नही कहा जाता।
वो अदा से ही वार करतें हैं।।
इश्क साहिब से हमनें फरमाया।
वो नही ऐतबार करतें हैं।।
हम मुहब्बत लुटातें हैं उनपर।
पर वो खंजर से वार करतें हैं।।
हमको रिश्ते निभानें की है जिद।
वो तो पल पल दरार करतें हैं।।
चोर ही कोतवाल को डांटे।
दिल चुराकर गुहार करतें हैं।।
वो तो सुनतें नही कभी दिल की।
बस वो इंतजार यार करतें हैं।।
प्रीती श्रीवास्तव

प्रीती श्रीवास्तव

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