राजनीति

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की जीत

मोदी की नीति नीयत नीतियां और नेतृत्व पर भरोसा जताते हुए देश की जनता ने भाजपा को लोकसभा चुनाव में प्रचण्ड बहुमत दिया। यह जनादेश जहां देश को नई ऊंचाईंयों पर ले जाने में सहायक सिद्ध होगा वहीं विश्व में बढ़ी भारत की प्रतिष्ठा को स्थायित्व मिलेगा। यह केवल मोदी की जीत नहीं है। यह हिन्दुत्व और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की जीत है। क्योंकि इस चुनाव में दो धाराएं थी। एक धड़े का नेतृत्व वह दल कर रहे थे जो सत्ता प्राप्ति के लिए देश व समाज को जाति पंथ मजहब के आधार पर बांटने में भी गुरेज नहीं करते थे। यह समाज एक रस न हो पाये इसके लिए प्रयासरत रहे। दूसरी तरफ मोदी जैसा विराट व्यक्तित्व जो समूचे राष्ट्र और उसमें निवास करने वाली जनता को एकात्म भाव से देखता हो। जो भारत के आध्यात्मिक चिंतन के आधार पर देश के सर्व समाज का कल्याण चाहता हो। इस वैचारिक लड़ाई में जनता ने मोदी का साथ दिया।
मोदी ने व्यक्तिगत शुचिता के माध्यम से आम जनता का विश्वास जीतने में कामयाब रहे। सरकार जनता की जनता के लिए इसको चरितार्थ करने का काम भी मोदी ने अपने कार्यकाल में किया। एक प्रधानमंत्री भी आम जनता के साथ जुड़ सकता है। इसका अनूठा प्रयोग उन्होंने किया। नरेन्द्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम से किसान,व्यापारी,युवा महिला हर वर्ग को अपने साथ जोड़ा। वहीं गरीब किसान और महिलाओं के उत्थान के लिए सरकारी योजनाएं भी चलाई।
2014 के लोकसभा चुनाव में कालाधन और भ्रष्टाचार प्रमुख मुद्दा था लेकिन पूरी तरह भ्रष्टाचार पर अंकुश तो नहीं लग सका लेकिन संस्थागत भ्रष्टाचार जरूर रोकने का प्रयास किया। राजनीति में शुचिता के पर्याय बनकर उभरे मोदी पर आज तक कोई उंगली नहीं उठा सका। जनधन योजना के माध्यम से सीधे लाभार्थी के खाते में योजनाओं का पैसा पहुंचाया गया। इसके अलावा जन सुविधाओं पर मोदी का पूरा फोकश रहा। रोटी कपड़ा मकान,शिक्षा स्वास्थ्य सबको उपलब्ध हो इसलिए जहां गरीबों को प्रधानमंत्री आवास उपलब्ध कराये गये वहीं स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना जैसी योजनाएं लायी गयीं महंगाई,बिजली और विकास प्रत्येक चुनाव  में मुद्दा बनता था। इस बार के चुनाव में यह तीनों विषय गायब थे। महंगाई पर नियंत्रण करने का काम मोदी सरकार ने जहां किया वहीं बिजली पहुंचाने का और विकास की गति को तेज करने का काम किया गया।
इसके अलावा आंतरिक व वाह्य सुरक्षा भी सुदृढ़ हुई। आंतरिक सुरक्षा के मामले में काश्मीर को छोड़कर कहीं भी न तो बम धमाके हुए और न ही दंगे हुए। पहले लोग मेला हाट बाजार जाने और ट्रेन और बस से सफर करने में डर लगता था। आज हर भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों के प्रति गर्व का अनुभव कर रहा है। आज हर दल का नेता हिन्दू कहलाने पर गर्व की अनुभूति करने को विवश हो रहा है। नकली सेक्युलरवाद का ढ़ोंग नेताओं ने इस चुनाव में नहीं किया। इसके अलावा मोदी ने इन पांच सालों में बदले की भावना से कोई काम नहीं किया। नहीं तो जो घोटालों के आरोपी नेता जमानत पर बाहर घूम रहे हैं सब अंदर होते। वहीं विकास योजनाओं में पारदर्शिता के साथ किसी के साथ कोई भेदभाव भाजपा सरकार ने नहीं किया। यही कारण रहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी चोर— मोदी चोर का जितना नारा लगाया उतना उनका ही नुकसान हुआ। वहीं किस मुद्दे को कहां छूना और विपक्ष की बात को अपना हथियार बना लेने की कला कोई मोदी से सीखे। कांग्रेस ने मोदी के लिए जो कुछ भी कहा चाहे चाय बेचने वाला चाहे जाति को लेकर या हुआ तो हुआ इसका नुकसान उल्टे कांग्रेस को ही उठाना पड़ा है। प्रियंका उत्तर प्रदेश में जान फूंकने आयी थीं लेकिन पूरी पार्टी फूंक कर चली गयीं। वह अपने भाई की अमेठी सीट भी नहीं बचा पायी।
डा. राम मनोहर लोहिया ने कहा था कि नेहरू पर रोजाना 25 हजार स्र्पए खर्च होते हैं जबकि देश की तीन चौथाई आबादी को प्रतिदिन दो आने भी नहीं मिलते हैं। नेहरू की यह फिजूलखर्ची भी एक तरह का भ्रष्टाचार है। मोदी के कार्यकाल में फिजूलखर्ची पर काफी रोक लगी है।

मोदी ने जनता को जहां राष्ट्रवाद, एअर स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राईक से सहानुभूति हासिल की वहीं गरीब महिलाओं ग्रामीणों और किसानों पर भी ध्यान दिया। सरकारी योजनाओं को जाति मजहब की दीवार से बाहर निकाला। जनता ने इस बार राष्ट्रवाद राष्ट्रीय सुरक्षा विकास और गरीबी पर  वोट दिया। जातिवादी और परिवारवादी राजनीति को जनता ने एक बार फिर से नकार दिया। कांग्रेस के विरोध की लहर इस तरह चली की 14 राज्यों में कांग्रेस साफ हो गयी। कांग्रेस के नौ पूर्व मुख्यमंत्री अपनी सीट भी नहीं बचा पाये। यूपी और बिहार जैसे बड़े राज्य में एक—एक सीट से कांग्रेस को संतोष करना पड़ा। बिहार में जनता ने जहां लालू की परिवारवादी राजनीति को करारा जवाब दिया वहीं यूपी में सपा बसपा गठबंधन भी फ्लाप साबित हुआ।
वैसे प्रचण्ड जीत से मोदी और भाजपा की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ गयी है। किसानों की आय दोगुनी करने और 2022 तक सबको आवास उपलब्ध कराने के वायदे पर अमल करना होगा। मोदी ने जीत के बाद कहा कि हम न रूके,न झुके, हम दो गये तो भी और आज दुबारा आ गये तो भी। हम न नम्रता छोड़ेंगे और न ही आदर्शों को छोड़ेंगे। मोदी अनथक अविरत राही की तरह चलते रहे। इससे मोदी जहां आमजन को समझाने में सफल रहे। वहीं मोदी ने विकास को ग्रामीण केन्द्रित बनाया। गांवों में बिजली पानी शौचालय की व्यवस्था कराई। किसानों की चिंता की। इससे जनता को लगा कि देश समाज के साथ व्यक्तिगत हित मोदी सरकार में ही है। इसलिए जनता ने मोदी को चुना। यही कारणा था कि मोदी के आगे बड़े—बड़े धुरंधर धराशायी हो गये। उत्तर प्रदेश में सपा साफ हो गयी। अखिलेश अपने परिवार को भी नहीं बचा पाये। यही हाल बिहार में भी हुआ। दिल्ली,हरियाणा,हिमांचल और उत्तराखण्ड का परिणाम भी सबके सामने है। सबसे दिलचस्प बात इस चुनाव में यह रही कि पश्चिम बंगाल में भाजपा 18 सीटें जीतने में सफल रही। भाजपा पूर्व योजन और पूर्ण योजना बनाकर काम करती है। पश्चिम बंगाल में इसी कारण फायदा हुआ। भाजपा का वहां पर पिछले एक वर्ष से फोकश था। इस बार केरल में भले ही भाजपा को सीट न मिली हो लेकिन भाजपा का अगला फोकश केरल पर रहेगा। भाजपा को मिली प्रचण्ड जीत के पीछे यह भी प्रमुख कारण रहा कि विगत एक वर्ष भाजपा ने बूथ स्तर तक दर्जनों कार्यक्रम चला कर जनता को जोड़ा। वहीं अन्य पार्टियां केवल चुनाव के समय जनता के बीच गयी। इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। जनता अब समझदार हो चुकी है उसे अब जाति सम्प्रदाय और धर्म के आधार नहीं बरगलाया जा सकता है।
शासन और वैचारिक कार्यों में मोदी का कोई सानी नहीं है। सुरक्षा के मामले में जहां डोकलाम विवाद पर चीन को पीछे हटना पड़ा वहीं सर्जिकल स्ट्राईक के बाद एअर स्ट्राइक कर दुनिया को चेता दिया कि अब भारत सहन नहीं समस्याओं का समाधान करेगा।  शिक्षा स्वास्थ्य सुरक्षा और स्वच्छता पर सराहनीय कार्य किया गया। वहीं सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और संस्कृति संवर्धन के क्षेत्र में 21 जून को अंतराष्ट्रीय योग दिवस घोषित कराया वहीं देश के 41 धार्मिक स्थलों पर 727 करोड़ के विकास कार्य भी कराए। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में राम वनगमन पथ,कृष्ण पथ और बौद्ध परिपथ बनवाया। चार धाम यात्रा को सरल बनाने के लिए चारधाम महामार्ग विकास परियोजना के जरिए चारों धामों को जोड़ने के लिए 11,700 करोड़ दिया। जनकपुर को अयोध्या से जोड़ा। यह सब ऐसे काम हैं जिन पर सरकारों ने अब तक ध्यान नहीं दिया। भारत धर्म परायण देश है। यहां की जनता धर्म के मार्ग पर चलने वाली है। देश को ऐसा प्रधानमंत्री पहली बार मिला है जो बिना लाग लपेट के धर्म कर्म के कार्य में सहभागी होती हो। मोदी के कार्यकाल में विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है। विदेशी राष्ट्राध्यक्षों को गीता भेंट करने की परम्परा मोदी ने ही शुरू करवायी। कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए चीन से करार और अबू धाबी में मंदिर निर्माण की स्वीकृति जैसे कामों ने मोदी की लोकप्रियता में वृद्धि की।

बृजनन्दन राजू 

बृज नन्दन यादव

संवाददाता, हिंदुस्थान समाचार