धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

धर्म और विज्ञान

धर्म और विज्ञान एक दूसरे के पूरक हैं। धर्म जीवन जीने की प्रेरणा देता है, और विज्ञान जीवन कैसे जिया जाता है यह सिखलाता है। पुरातन समय में धर्म को इसलिए प्रमुखता दी गई, क्योंकि लोगों को विज्ञान के विज्ञान समझ नहीं आता था। पेड़ की पूजा करना धर्म सिखाता है, पीपल बरगद ऑक्सीजन देते हैं अगर इनकी पूजा ना होती तो शायद यह पेड़ न होते। अगर इसे विज्ञान की तरह समझाते कि पेड़ ऑक्सीजन देता है और कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करता है तो लोगों को समझ नहीं आता। इंसानों को ऑक्सीजन की जरूरत ज्यादा है। धर्म कहता है सुबह ब्रह्म मुहूर्त में जगना चाहिए, और इसकी वैज्ञानिक सोच यह है कि सूर्योदय से पहले उठकर दिनचर्या प्रारंभ कर ले तो उस समय वातावरण शुद्ध होता है ऐसे समय में टहलना योगा करना पूरे शरीर को स्वस्थ रखता है।
     कुछ विचारको का कहना है कि विज्ञान धर्म के आगे नतमस्तक है, विज्ञान और दर्शन की सीमा जहां पर खत्म होती है, वहां से धर्म शुरू होता है धर्म और विज्ञान विरोधी नहीं एक दूसरे के पूरक है। धर्म मनुष्य को भीतर से सुंदर बनाता है और विज्ञान बाहर से। धर्म लोगों को ठगने का प्रयास करता है और विज्ञान इसे सीधे रास्ते पर लाने की चेष्टा करता है।
धर्म अभय है और विज्ञान अजेय है।
गरिमा

गरिमा लखनवी

दयानंद कन्या इंटर कालेज महानगर लखनऊ में कंप्यूटर शिक्षक शौक कवितायेँ और लेख लिखना मोबाइल नो. 9889989384