स्वास्थ्य

चेहरे पर मुँहासे : कारण और निवारण

चेहरे पर होने वाली छोटी-छोटी फुंसियों को मुँहासे कहा जाता है। प्रारम्भ में ये लाल रंग के होते हैं, कई बार पक भी जाते हैं, फिर फूटकर या वैसे ही सूख जाते हैं और अपने काले दाग छोड़ जाते हैं। प्रायः पुराने मुँहासे ठीक होने से पहले ही नये निकल आते हैं। इनसे अच्छा-खासा चेहरा भी भद्दा लगता है। मुँहासे प्रायः 14 से 30 वर्ष के उम्र के बीच होते हैं, वैसे वे कभी भी हो सकते हैं।

मुँहासों का प्रमुख कारण है- पेट साफ न होना। खून साफ न होने के कारण भी मुँहासे हो सकते हैं, पर इनका मुख्य सम्बंध पेट की खराबी कब्ज से ही है। इन पर कोई भी स्थानीय उपचार पूरा लाभ नहीं करता। पेट साफ करना और खून को शुद्ध करना ही इनका स्थायी समाधान है। इसके लिए निम्नलिखित नियमों का पालन करें-

1. शुद्ध सात्विक भोजन करें। भोजन में सलाद अवश्य हो।

2. चाय, काफी, मिर्च, मसाले, तेल, खटाई, मैदा, सफेद चीनी, फास्टफूड, मिठाई, अंडा. माँस-मछली, शराब, सिगरेट आदि का पूरा परहेज करें।

3. दिन भर में कम से कम 3 लीटर और अधिक से अधिक 4 लीटर सादा शीतल जल पियें।

4. मल-मूत्र के वेग को कभी न रोकें। दिन में सुबह-शाम दो बार शौच अवश्य जायें। पेट साफ करने के लिए सुबह उठते ही एक गिलास गुनगुने पानी में आधा नीबू निचोड़कर और एक चम्मच शहद मिलाकर पियें। फिर 5 मिनट बाद शौच जायें। उसके तुरन्त बाद पेड़ू पर 3 मिनट बर्फ लगाकर टहलने निकल जायें। शुद्ध वायु में 2 किमी अवश्य टहलें।

5. नित्य प्रातः 30 से 45 मिनट तक व्यायाम योग आदि इतना अवश्य करें कि दो-तीन बार पसीना आ जाये। साथ में प्रतिदिन 5 मिनट कपालभाति और 5 मिनट अनुलोम विलोम प्राणायाम भी अवश्य करें।

6. नहाने के साबुन का प्रयोग बंद कर दें। इसके बजाय तौलिये के टुकड़े को पानी में भिगोकर उससे शरीर को रगड़ते हुए नहायें। इससे रोमछिद्र खुल जायेंगे और खून की गंदगी पसीने के रूप में निकलेगी।

7. दूध से बने पदार्थों का सेवन कम करके आम को छोड़कर अन्य खट्ठे फलों का सेवन अधिक करें।

8. चेहरे पर सभी तरह के साबुन तेल क्रीम पाउडर आदि लगाना बिल्कुल बन्द कर दें। केवल गीले कपड़े से चेहरे को रगड़ते हुए स्नान करें। यदि चेहरे पर कोई खुला घाव न हो, तो 5-10 मिनट भाप भी ली जा सकती है। इससे रोमछिद्र खुल जायेंगे और गन्दगी बाहर निकलेगी।

इन उपायों का पालन करने से एक दो माह में ही चेहरा साफ और खून शुद्ध हो जाएगा और मुँहासे आदि के साथ ही त्वचा सम्बंधी सभी शिकायतें चली जायेंगी।

— डाॅ विजय कुमार सिंघल
ज्येष्ठ कृ 9, सं 2076 वि (28 मई 2019)

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com