कविता

तुम से बिछड़ के।

तुम से बिछड़ के सोचा न था,
फिर तुम से यूं मिलना होगा।
उन गलियों में फिर अपना,
इक बार यूं चलना होगा।
तुम से….
जानते हैं फिर पहले की तरह,
घाव दिल पे कोई सहना होगा।
पर क़दमों को रोकेंगे हम कैसे,
ये दिल को ही सोचना होगा।
तुम से……
आओ करें मिलकर कोई जत्न,
हमें हालात को समझना होगा।
कुछ तुम बदलो कुछ हम भी,
यूं सोच कर अब राह चुनना होगा।
तुम से…..

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |