कविता

मातृभूमि

हे मातृभूमि है देवभूमि तुमको शत-शत नमन हो,
वीरों की यह धरती तुम को शत शत नमन हो।
मातृभूमि की रक्षा के लिए हम सर्वस्व न्यौछावर कर देंगे,
आने ना देंगे  इस पर हम ऐसे कवच से ढक देंगे।
मातृभूमि हमें अपनी जान से प्यारी है,
कोई भी इसकी तरफ आंख उठा नहीं सकता।
दुश्मन जो आया पास इसके,
उसको लहू से हम धो देंगे।
हो हरी भरी धरती अपनी,
यह संकल्प हमारा है।
मातृभूमि में प्यार हो सबके बीच,
यह दायित्व हमारा है।
मातृभूमि की रक्षा में हम,
तन मन धन लुटा देंगे,
सैनिक ही नहीं अपितु हम भी लाल है तेरे,
वक्त आने पर हम भी जान दे देंगे।
गरिमा

गरिमा लखनवी

दयानंद कन्या इंटर कालेज महानगर लखनऊ में कंप्यूटर शिक्षक शौक कवितायेँ और लेख लिखना मोबाइल नो. 9889989384