कविता

कविता – स्मृतियां

दर्द का सा नशा हैं स्मृतियों में,
जो अधरों पर अदा रूप में आता हैं।
इन्द्रधनुष सा रंग दिखाता,
औ वीणा सी झनकार दे जाता हैं।।
जिसके आंसू कल तक घड़ियाले थे,
अब वह गंगाजल सा पावन हैं।
मन्दिर,मस्जिद, गुरुद्वारें सब
उसके पग चिन्हों से अवगत हैं ।।
सूने पथ का वह राही था,
किन्तु अंधेरों में भी लालायित था
सूखी डाली सा जीवन ले,
वह अम्बर को छूने निकल पड़ा।।
अविरल गति से वह दौड़ा,
अपने संघर्षों का मंत्र लिए।
धीरे–धीरे उदित हुआ  वह सूर्योदय में
अपने तप की स्मृतियां ले।।
-– रेशमा त्रिपाठी 

रेशमा त्रिपाठी

नाम– रेशमा त्रिपाठी जिला –प्रतापगढ़ ,उत्तर प्रदेश शिक्षा–बीएड,बीटीसी,टीईटी, हिन्दी भाषा साहित्य से जेआरएफ। रूचि– गीत ,कहानी,लेख का कार्य प्रकाशित कविताएं– राष्ट्रीय मासिक पत्रिका पत्रकार सुमन,सृजन सरिता त्रैमासिक पत्रिका,हिन्द चक्र मासिक पत्रिका, युवा गौरव समाचार पत्र, युग प्रवर्तकसमाचार पत्र, पालीवाल समाचार पत्र, अवधदूत साप्ताहिक समाचार पत्र आदि में लगातार कविताएं प्रकाशित हो रही हैं ।