गीत/नवगीत

पानी बचाओ

जहां में पानी का बहुत बड़ा  संकट है।
लंबी लंबी कतारें  और एक पनघट है।
कहींपर कीचड़ को छानकर पीते हैं तो,
कहीं खारा पानी पीते हैं बड़ा झंझट है।

इसको तुम सड़कों पर  ना बहाओ,
गुज़ारिश है मेरी की पानी बचाओ!

बांध और तालाब ,भी खुस्क हो रहे है।
किसान भी बिन पानी फ़सल बो रहे है।
धीरे धीरे कई ख़तम ना हो  जाए पानी ,
पशु पक्षी सभी प्यास के मारे रो रहे है।

तुम नल खुला झोड़कर ना जाओ,
गुज़ारिश है मेरी की पानी बचाओ!

पानी की किल्लते और  बढ़ती जाएगी!
सरकार झूटी फरियादी सुनती जाएगी !
कुछ पानी ही इन नदियों  में बचा हुआ !
अब चिड़िया भी प्यासी  रहती जाएगी !

बहाने पर सरकार जुर्माना लगाओ,
गुज़ारिश है मेरी की पानी बचाओ!

— खालिद खान इमरानी

खालिद खान इमरानी

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