कविता

फिर सदाबहार काव्यालय- 26

खोल दो मुट्ठी …..

खोल दो मुट्ठी, बिखेर दो कंचे,
उड़ा दो पतंगें, गगन में ऊंचे!
आसमां को छूना है,
बाजुओं में भरना है!
समय के भाल पर,
कुमकुम तिलक लगाना है!

पेल दो धनुष, प्रत्यंचा खींच दो,
बाण से शहद भरे, हृदय को बींध दो!
तपती मरुधरा पर,
चैत्री गुलाब खिलाना है!
मृग मरीचिका से दोस्ती कर,
सौरभ फैलाना है!

आंखों की पुतलियों में, लक्ष्य को उतार दो,
उड़ान चील की भर, सूरज को निगल लो!
हौसले बुलंद है!
फ़ौलादी पंख हैं!
कामयाबी के शिखर पर,
मजबूत कदम हैं!
कुसुम सुराना
चैत्री गुलाब का परिचय-
राजसमंद का हल्दीघाटी क्षेत्र महाराणा प्रताप की युद्धभूमि के नाम से जाना जाता रहा है, लेकिन इस घाटी की एक खासियत गुलाबी गुलाब भी हैं. यहां के गुलाबों की खुशबू से आज देश-विदेश महकते हैं.

राजसमंद के खमनौर व हल्दीघाटी में चैत्री गुलाब की खेती कई सालों से चैत्री गुलाब की खेती की जाती है. यहां पर खिलने वाले गुलाबों की खुशबू देश-विदेश को महका रही है.

नाजुक होती हैं इस गुलाब की पत्तियां, नहीं बर्दाश्त कर पाती ज्यादा गर्मी

इस गुलाब की खेती देसी खाद डालकर की जाती है जिससे इसकी गुणवत्ता में वृद्धि होती है. चैत्री गुलाब की एक खासियत होती है कि इन पर एक ही बार गुलाब के फूल आते हैं, इनका रंग हल्का गुलाबी होता है. इन्हें चैत्री गुलाब भी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनकी खेती चैत्र महीने में 15 मार्च और 15 अप्रैल के बीच होती है. खासतौर से 20 दिनों की गुलाब की यह फसल मौसम पर टिकी होती है. चैत्री गुलाब की पंखुड़ियां पतली होने के कारण नाजुक होती हैं जो गर्मी बरदाश्त नहीं कर पातीं.
इन फूलों को भारत के कई दूर-दूर के स्थानों पर भी भेजा जाता है जैसे- गुजरात, अहमदाबाद आदि और आजकल तो भारत से बाहर भी जाने लग गए हैं जैसे-जापान, अमरीका आदि देशों में. इन देशों में भी इसकी डिमांड बढ़ रही है. इन गुलाबों का उपयोग मेडिसिन के रूप में भी किया जा सकता है. इनके अलावा इन गुलाबों से कई प्रकार के प्रोडक्ट भी बनाए जाते हैं जैसे गुलाब जल, गुलकंद, शर्बत, इत्र आदि.
कुसुम सुराना

मेरा परिचय:
एक गृहिणी, जिसने वक्त की रफ्तार के साथ चलना सीखा! वाणिज्य में स्नातक की पदवी हासिल करने बाद बेटे से संगणक का ज्ञान हासिल किया, आज सोशल मीडिया पर अपनी उपस्थिति दर्ज करने के साथ-साथ नवभारत टाइम्स में रीडर्स ब्लॉग में अपना ब्लॉग में अपने विचार रख रही हूं. लिखना, फोटोग्राफी करना मेरा शौक है. मैंने एक खिलाड़िन होने के नाते खेल के मैदान से, खेल से बहुत कुछ सीखा है! देशभक्ति मेरा जुनून है और मानवता मेरा धर्म!
कुसुम सुराना

कुसुम सुराना की ब्लॉग वेबसाइट
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/author/ironlady-kusumgmail-com/

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*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “फिर सदाबहार काव्यालय- 26

  • लीला तिवानी

    प्रिय ब्लॉगर सखी कुसुम जी, आपकी भावभीनी-संदेशप्रद लेखनी हर जगह जादू जगाती है, प्रेरणा देती है. आपके ब्लॉग्स हों, प्रतिक्रिया हो, दिलखुश जुगलबंदी हो या फिर खोल दो मुट्ठी ….. जैसी सदाबहार कविता, जीवन को एक संदेश देने के साथ हृदय को छू लेती है, हृदय में बहुत गहरे उतर जाती है. आपकी सदाबहार लेखनी को हमारा नमन और आपको ऐसी ही सदाबहार रचनाओं के लिए कोटिशः शुभकामनाएं.

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