कविता

भगवान है पिता

घर-द्वार के सुंदरता की शान है पिता

संसार में हस्ती बड़ी महान है पिता

क्या कर दूं बच्चों के लिए सोचता हरपल

संघर्षरत की बच्चों का भविष्य हो उज्ज्वल

वो स्तम्भ है नातों का सभी रिश्तों का हमदम

बच्चों की सफलता के सपने देखता हरदम

बच्चों के सभी ख्वाब की उड़ान है पिता

संसार में हस्ती बड़ी महान है पिता

आस की शमाएं वो पिघलने नहीं देता

गलत राह पर बच्चों को चलने नहीं देता

संतान को उदास देख खुद होता है दुखी

मांगता ईश्वर से सदा बच्चे रहे सुखी

बच्चों के लिए खुशियों की दुकान है पिता

संसार में हस्ती बड़ी महान है पिता

आशा की किरण भरोसे का धूप है पिता

पृथ्वी पर तो उस ईश्वर का ही तो रुप है पिता

बच्चों के लिए जाने क्या – क्या दर्द उठाता

बच्चों के सभी सपनों को खुद ही सजाता

खुदा का करम ईश्वर का वरदान है पिता

संसार में हस्ती बड़ी महान है पिता

बन जाओ गर कुछ तो कभी भी फूलना नहीं

त्याग को उनके कभी भी भूलना नहीं

फर्ज बेटे होने का कर देना तुम अदा

पूजना भले नहीं कद्र करना सदा

पिता सा नि:स्वार्थ कोई दूजा ना है

स्थान तो उनका पूजे जाने का है

पृथ्वी पर जो आया वो भगवान है पिता

संसार में हस्ती बड़ी महान है पिता

संसार में हस्ती बड़ी महान है पिता

 

विक्रम कुमार

मनोरा

वैशाली

 

विक्रम कुमार

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