कविता

मेरे पापा

क्या कहूँ आपके लिए,
शब्द कम हो गए आज,

कभी आता गुस्सा है,
कभी आता है प्यार,

आज भी याद है सब कुछ,
जो जो भी हुआ बचपन में,

कितना कठोर रहते थे ,
कभी मदद नही करते,

जब जब पुकारा आपको,
आप नही आये मदद को,

खुद करो सब अपने से,
कोशिश कर खुद करते ,

तब खुश होते हम सफलता पर,
मंद मंद आप भी मुस्काते थे,

हर राह जो होती कठिन ,
उस पर आगे हमकों चलाते,

आज उस बचपन की ठोकर से,
जीवन की हर ठोकर छोटी है ,

कोई भी परेशानी हो समस्या हो,
कदम नही रुकते है हमारे,

चलते चलते , लड़ते लड़ते,
मंजिल मिल जाती खुशी से ,

आज भी आप पीछे हो खड़े,
जीवन की राह पर हम आगे

जितना लिखूं कम है ,
” पापा” जीवन का सार हो आप ।।

सारिका औदिच्य

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।