कविता

तपन

धरती है तपती,प्यासे है पंछी,
आसमाँ की गोद भी सूनी है।

गर्म हवाओं से मुरझाए चेहरों
की आसमाँ से उम्मीद दूनी है।

धरती के हर प्राणी ने प्रभु से
बस एक ही आश बुनी है।

बरसे बादल जोर से कुछ ऐसे,
कि हर किसान की फसल
लगे,चली आकाश को छूनी है।

आँचल धरती का जो तुम हरा – भरा चाहते हो।
आलसपन छोड़ कर फिर पौधे क्यों ना लगाते हो।।

प्रयास करेंगे मिलकर सब तभी हरियाली आएगी।
कोई पंछी ना प्यासा होगा सबकी प्यास बुझ जाएगी।।

आओ ऐसे विश्व के निर्माण का प्रयास करते है।
हर माह एक पौधे को धरती की गोद मे बोते है।।

 

नीरज त्यागी

पिता का नाम - श्री आनंद कुमार त्यागी माता का नाम - स्व.श्रीमती राज बाला त्यागी ई मेल आईडी- neerajtya@yahoo.in एवं neerajtyagi262@gmail.com ग़ाज़ियाबाद (उ. प्र)