कहानी

दाढ़ी वाले ड्राइवर भइया

” आज का दिन कैसा रहा बेटू ?”
श्रीमती शर्मा ने रोज की तरह स्कूल से लौटी अपनी सात वर्षीय बिटिया से पुछा ।
” बहुत अच्छा ममा ! आज ड्रौइंग थी न , मैने हमारी पपी की पेंटिंग बनाई । टीचर ने स्टार भी दिया ।”
” वेरी गुड बेटू । अरे वाह  , टीचर ने चॉकलेट भी दिया? ”
बिटिया के हाथों में चॉकलेट देख माँ ने  स्कूल बैग रखते हुए पुछा ।
” नहीं माँ  , ये तो हमारे नए दाढ़ी वाले ड्राइवर भइया ने दिया है  ।”

***

” मॉडल इंटरनेशनल स्कूल ” ।
शहर के सबसे बड़े और मँहगे स्कूलों में से एक ।
आज रोज से कुछ ज्यादा हलचल है । कारण है स्पेशल बोर्ड  मीटिंग जिसमें चेयरमैन साहब भी आने वाले हैं ।
यह आम बोर्ड मीटिंग नहीं थी , बहुत सारे अभिभावकों के दवाब में आकर प्राचार्या महोदया ने बुलाई थी । पालक प्रतिनिधि सीधे चेयरमैन साहब से बात करने पर आतुर थे ।
चेयरमैन साहब के आने के बाद प्रारंभिक औपचारिकताओं को पुरा किया गया ।
फिर प्राचार्या महोदया ने बताया कि सारे अभिभावक नए बस ड्राइवर सलीम को तत्काल हटाने की मांग कर रहे हैं ।
चेयरमैन ने जब पुछा क्यूँ ; क्या हुआ??
प्राचार्या महोदया से पहले हिं श्रीमती दीक्षित बोल पड़ी
” तो क्या आप किसी घटना के होने का इंतज़ार कर रहे हैं सर ?”
श्रीमती माया दीक्षित मुख्य पालक प्रतिनिधि होने के साथ साथ सामाजिक कार्यकर्ता थीं । उनके पति एक सामाजिक संघटन के प्रदेशाध्यक्ष थे ।
चेयरमैन साहब ने बात सम्हालते हुए कहा
” नहीं माया जी, मेरा मतलब है कि बिना किसी कारण किसी को नौकरी से तो नहीं निकाल सकते न । एक चॉकलेट के ….”

” कारण है , उसका धर्म ” श्रीमती दीक्षित ने बात काटते हुए सीधा सपाट जवाब दिया ।
चेयरमैन साहब बोले
” ये तो कोई वजह नहीं हुई । आप पढे लिखे जिम्मेदार लोग ऐसी बात करेंगे तो कैसे चलेगा ।”

” हम लोग पढ़े लिखे के साथ साथ अनुभवी भी हैं । और इसीलिए कह रहे हैं ।”

” माया जी , बेचारा गरीब घर का है । ”

” ये तो और चिंता की बात है  , गरीब लड़के हिं तो आसान शिकार बनते हैं । पैसे का पैसा जन्नत फ्री ”

” माया जी, मैं आपकी चिंता को समझता हूँ और यकीन कीजिये हमने पुरी जाँच परख करके हिं रखा है ।”

” सर , जाँच परख तो ‘उसकी’ भी की थी स्कूल वालों ने , फिर ….. ”

कुछ पल के लिए सन्नाटा छा गया । चेयरमैन साहब के पास इस तर्क का कोई जवाब नहीं था ।
इतनी देर में सलीम को भी बुला लिया गया था । चपरासी ने उसके आने की खबर प्राचार्या को दी ।
चेयरमैन साहब ने उसे कमरे के अंदर बुलवाया ।
सलीम सबको सलाम करके नज़र झुकाए कोने में खड़ा हो गया । सत्ताइस अठाइस साल का मध्यम कदकाठी का गोरा लड़का । चेहरे पर दाढ़ी बिना मुँछ के, आँखो से मासूमियत झलकती थी ।
चेयरमैन साहब उससे बोले
” तुमने पाखी शर्मा को चॉकलेट दी थी ??”
सलीम ने धीमी पर स्थिर आवाज में जवाब दिया
” जी सर , एक दिन पहले उसका जन्मदिन था , उसने सबके साथ मुझे भी टॉफ़ी दी । जब मैंने बताया कि आज मेरी बहन का भी जन्मदिन है तो बड़ी मासूमियत से बोली कि तब तो आपको भी चॉकलेट खिलाना चाहिए ना । बस इसीलिए ”

” तुम्हें पता है ना बच्चों को बस में कुछ भी खाने पीने का सामान देने की मनाही है । मैन्वल पढ़ा नहीं तुमने??” चेयरमैन साहब ने कड़कती आवाज में पुछा ।

” मुआफ कर दीजिये सर , चूक हो गई ,  आइन्दा गलती नहीं होगी ।”

” आइन्दा की अब बात हि नहीं है । तुम ऑफिस से जाकर अपना हिसाब कर लो । कल से आने की जरूरत नहीं है ।”

सलीम को शायद पहले से अंदाजा था । वह बिलकुल भी चौंका नहीं । बोला
” सर , मैने सब सुन लिया है , चॉकलेट का बहाना बनाने की जरूरत नहीं है । आपने मुझे मौका दिया था इसके लिए मैं अहसानमंद रहूँगा । मैं आपकी मजबूरी समझ सकता हूँ ।
मै जा रहा हूँ सर , पाँच दिन की नौकरी का क्या हिसाब लूँ ।”
कहकर सलीम चला गया ।

कुछ देर की खामोशी के बाद चेयरमैन साहब बोले-
” कुछ महीने पहले इसके अब्बा चल बसे । पीछे माँ और तीन बहनें हैं । सर्विस सेन्टर में काम करता था । मैंने वहीं देखा था । बहुत मेहनती है । एक बार यहीं से लौटते समय मैने कार सर्विसिंग के लिए छोड़ दी । मेरी कार में हि रुपयों का बैग छूट गया था । मेरे ध्यान से बिल्कुल उतर गया था तो मैं वापस भी लेने नहीं गया । दो दिन बाद जब कार लेने गया तो उसने बैग लौटाते हुए कहा, “सर लाख रुपये से कम न होंगे और आपको चिंता हि नहीं थी ।”
मुझे तब याद आया । सिन्हा जी ने बताया था बैंक मे स्ट्राइक था तो पैसे जमा नहीं हो सके और उन्होंने सारे पैसे कार में रखवा दिए थे । बहुत ईमानदार लड़का है, इनाम भी नहीं लिया । इसीलिए जब ड्राइवर की जरूरत पड़ी तो मैंने इसे बुला लिया । मुझे कभी ध्यान भी नहनहीं आया कि वो मुसलमान है और ऐसा कुछ भी हो सकता है । बेचारे की लगी लगाई नौकरी भी मेरी वजह से चली गई ।

चेयरमैन साहब के चेहरे से ग्लानि और बेबशी साफ झलक रही थी ।

प्राचार्या महोदया बोली । अगर सामान्य बात होती तो एक ड्राइवर को हटाने के लिए सर को नहीं आना पड़ता ।

श्रीमती दीक्षित और बाकी सदस्य भी कुछ असहज हो गए थे ।

सबने अभिवादन कर विदा लिया ।

***
श्रीमती दीक्षित सीधे पाखी के घर गई । सारा वृत्तांत सुनकर श्रीमती शर्मा रो पड़ीं ।
” दीदी  कुछ समझ नहीं आ रहा, पर मुझे अब उन लोगों पर बिल्कुल भरोसा नहीं होता । मैं बेटा खो चुकीं हूँ अब बिटिया का डर लगा रहता है । मै क्या करूँ । पाखी ने जैसे ही बताया दाढ़ी वाले ड्राइवर भइया है मेरे होश उड़ गए । मैंने पता किया तो पता चला कि वो भी मुसलमान है । दीदी तुम्ही बताओ मैं कैसे भरोसा कर लेती।”
श्रीमती शर्मा बेतहाशा रो रही थी । उन्हें सब याद आ रहा था । दो साल पहले स्कूल ड्राइवर ने आतंकवादियों के बहकावे में आकर तीस बच्चों और एक सहायिका के साथ बस का अपहरण कर लिया था ।
दो दिन तक चले बचाव कार्य और तमाम सियासत के बीच बाकी बच्चों को तो बचा लिया गया पर श्रीमती शर्मा के बेटे को धमकी के तौर पर उन्होंने पहले दिन हिं मार दिया था ।

*****
श्रीमती शर्मा और श्रीमती दीक्षित दोनों स्कूल से पता निकालकर सलीम के घर आए । सलीम ने श्रीमती दीक्षित को पहचान लिया । सलाम करके बोला – ” मुआफ कीजिये आपको बैठने भी नहीं कह सकता ।  कुर्सी नहीं है ।”

” कोई बात नहीं ।” श्रीमती दीक्षित बोलीं । ” हम भी तुमसे माफी मांगने हिं आए हैं ।”

सलीम बीच में ही बोल पड़ा । नहीं, नहीं, ऐसा मत कहिये । कल रात चेयरमैन सर खुद यहाँ आए थे । उन्होंने हमे सारी बात बताई । हम कल जब स्कूल से लौटे थे तो हमारे दिल में आपके लिए बहुत गुस्सा था पर यक़ीन मानिए सर से सारा हाल सुनकर अब हमारे मन में आपके लिए कोई गिला नहीं है । आपकी जगह हम होते तो शायद यही करते ।”

” देखो सलीम , अगर तुमने सच में हमें माफ कर दिया है तो हमारी एक बात मान लो ।”
” क्या??”
” हमने तुम्हारे लिए एक दुसरी नौकरी की बात कर ली है ।
तुम कल से हिं काम पर जा सकते हो । शायद हमारा पाप कुछ कम हो जाए ।”

सलीम की आँखों में आँसू आ गए । बोला-
” पाप पून्य तो मैं नहीं जानता पर जिसने भी आप जैसी नेक दिल के जिगर के टुकड़े को मारा है , अल्लाह उसे कभी मुआफ नहीं करेगा ।”

समर नाथ मिश्र