संस्मरण

एक बिदेसी की दास्ताँ !

राजेश कोहली से मेरी दोस्ती तब से थी जब हम दोनों ने एक ही दिन इंगलैंड की एक बस कम्पनी में काम शुरू किया था लेकिन हम एक दूसरे के घर कभी नहीं गए थे क्योंकि जिस घर में वोह रहता था वोह किसी और का था और राजेश ने उस में एक कमरा किराए पर ले रखा था। कारण कुछ भी हो बस यूँ ही कभी एक दूसरे के घर जाने की जरूरत ही नहीं पढ़ी थी क्योंकि काम पर रोज़ ही तो मिलते थे, कैंटीन में रोज़ ही खाना खाने के वक्त मिल लेते।  राजेश बहुत ही अच्छा लड़का था। पीछे दिल्ली में ही उस के माँ बाप का घर था। राजेश ने मुझे तो कभी नहीं बताया था लेकिन कुछ लोगों के मुंह से सुना था कि उस के पिता जी किसी कालज में प्रिंसीपल थे। एक दिन राजेश कोहली के घर जाने का हमारा प्रोग्राम भी अचानक ही बन गया था, वोह भी उस वक्त जब हमारी दोनों की शादीआं कब की हो चुक्की थी और हमारे घर में पांच छे साल की दो बेटीआं थीं। ऐतवार का दिन था। जाने से पहले मैंने टेलीफून पे उस से बात कर ली कि हम उस के घर आना चाहते थे। राजेश तो खुश हो गया और हंसने लगा कि हमें आज रैड कार्पैट वैलकम मिलेगा। जब हम ने उन के घर के दरवाज़े की घंटी बजाई तो दोनों मीआं बीवी और उन की दो बेटीआं जो हमारी बेटीयों से दो तीन साल बड़ी थीं, ने दरवाज़े पर हमारा वैलकम किया और सभी बहुत खुश हुए। जब हम कमरे के सिटिंग रूम में दाखल हुए तो रूम देख कर ही रूह खुश हो गई। कमरा बहुत ही सुन्दर ढंग से डैकोरेट किया हुआ था। एक तरफ काफी बड़ा रेडिओग्राम रखा हुआ था जिस का उस समय फैशन हुआ करता था। पास ही बहुत से रिकॉर्ड रखे हुए थे। राजेश कोहली की पत्नी बेहद सुन्दर थी और उन की दो बेटीआं भी माँ पर ही गई थीं। बहुत सुन्दर और भोली भाली थी। इत्मीनान से हम बैठ गए, कुछ देर बातें कीं और हमारी पतनीआं किचन में चाय बनाने के लिए उठ खड़ी हुईं। हमारे घर में उस वक्त रेडिओग्राम नहीं था। इस लिए मेरी उत्सुकता वहां पढ़े हुए रिकार्डज़ की ओर हो रही थी और मैंने कोहली से पूछना शुरू कर दिया कि रिकार्डज़ कौन कौन से सिंगर के थे। राजेश ने एक रिकार्ड लगाया जो बेगम अख्तर की ग़ज़ल थी ” यह जो हम में तुम में करार था… ” यूँ तो यह रिकार्ड मैंने इंडिया में बहुत दफा सुना हुआ था लेकिन रेडिओग्राम पे सुन कर तो मैं मंत्रमुघ्द सा हो गया। बहुत मज़ा आया। इस के बाद और ग़ज़लें भी सुनीं और जब तक चाय बगैरा भी आ गई थी। काफी देर बैठे बातें करते रहे और फिर राजेश कहने लगा,  ” चलो तुम्हें अपना गार्डन दिखाते हैं ” और सभी उठ कर उन के गार्डन की ओर चल पड़े जो घर की पिछली ओर था। गार्डन देख कर भी रूह खुश हो गई। हमारे घर से यह गार्डन काफी बड़ा था और तरह तरह के पौदों पे फूल खिले हुए थे जिन में कई रंगों के गुलाब के फूल थे। लान का घास कटा हुआ और किनारे बहुत ही सुंदरता से कटे हुए थे। इसी गार्डन को देख कर हम ने भी अपने नए मकान में ऐसा ही लान बनाया था।  परिवारों की यह मुलाकात पहली और आख़री ही थी क्योंकि इस के बाद बहुत सालों बाद अकेला मैं ही एक दफा गया था क्योंकि विचारे राजेश का घर संसार अब बर्बाद हो गया था। पहले, मुझे इस का कोई गियान नहीं था। यह तो एक दोस्त से ही पता चला था कि विचारे राजेश कोहली की तो दुनीआं ही बर्बाद हो चुक्की थी।
जो दोस्त ने बताया, वोह दुखद बात थी। राजेश एक पढ़ा लिखा और बहुत ही शरीफ लड़का था। दोस्त ने बताया कि दिली से राजेश के पिता जी ने उसे एक पत्र लिखा था कि दिली में ही राजेश के लिए एक लड़की देखी है जो उस के कालज में ही पढ़ती है, इस लिए वोह इंडिया आ जाए। राजेश, काम से छुटी ले कर इंडिया आ पहुंचा। जब उस को लड़की दिखाई गई, तो उस लड़की को देख कर ही वोह लट्टू हो गया। जब राजेश और उस लड़की की आपस में बातें हुईं तो वोह भी राज को देख कर बहुत खुश हो गई। एक हफ्ते में ही सगाई और शादी हो गई। अब राजेश और उस की पत्नी हवा में उड़ते, जगह जगह घूमते और फिर छुटी खत्म होते ही राजेश वापस इंगलैंड आ गया। जल्दी ही उस ने एक घर का सौदा कर लिया और पत्नी के लिए स्पौंसरशिप भेज दी। घर मिलने के कुछ देर बाद ही उस की पत्नी भी इंगलैंड आ गई। दोनों बहुत खुश थे। कुछ ही सालो में दो बेटीआं हो गई। अब राजेश ने गाड़ी भी ले ली और उस का घर संसार स्वर्ग बन गया। बेटीआं स्कूल में ही पड़ती थीं जब हम भी उन से मिलने गए थे। हमारे मिलने के कुछ महीने बाद ही राजेश की पत्नी ने वोह कुछ कर दिया जो उस ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। एक दिन काम खत्म करके जब राजेश घर पहुंचा तो घर में कोई नहीं था। उस ने सोचा कि पत्नी कहीं गई होगी। जैसे जैसे शाम होती गई, उस की चिंता बढ़ती गई। शाम को जब उस की पत्नी का टेलीफून आया तो राजेश बेहोश होने की कगार पर आ गया। उस की पत्नी ने कहा कि वोह उसे ढूंढ़ने की कोशिश न करे क्योंकि वोह अपने दोस्त के साथ रहने लगी है और राजेश से तलाक चाहती है। बात दरअसल यह थी कि राजेश की पत्नी जिस का नाम मुझे पता नहीं, जिस कालज में पढ़ती थी, उस में ही एक लड़के से पियार करती थी। जब उस लड़के को सगाई का पता चला तो वोह  अपसैट हो गया और सोच सोच कर दोनों ने मशवरा कर लिया कि जब वोह शादी करके इंगलैंड चली जाए तो उसे भी बुला ले और बाद में राजेश को तलाक दे कर शादी रचा लेंगे लेकिन यह काम इतना आसान नहीं था।
उस लड़के को इंगलैंड आने की कोशिश करते कई साल लग्ग गए। उस के किसी दोस्त ने कोशिश करके उस लड़के को इंगलैंड बुला ही लिया। राजेश की पत्नी और उस के दोस्त की कैसे टेलीफून पे बातें हुईं, राजेश को ज़रा भी भनक नहीं लग्गी और आज वोह ही हो गया जो उस ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। इस बात को जानने के बाद हम ने कभी भी राजेश को उस के परिवार के वारे में बातें करने की कोशिश नहीं की। कुछ सालों बाद मैंने राजेश को एक गोरी औरत के साथ मार्किट में घूमते हुए देखा तो मैंने इस का ज़िकर उसी दोस्त से किया जिस ने राजेश  की व्यथा बताई थी। तो उस ने बताया कि अब राजेश एक आयरिश  औरत के साथ रहता है। कुछ साल बाद पता चला कि उस आयरिश  औरत से भी राज का रिश्ता टूट गया था। बात आई गई हो गई और मुझे शरीरक समस्याएं पेश आने लगीं और मुझे अर्ली रीटाईरमेंट लेनी पढ़ी और हमारा सम्पर्क लग पग टूट सा गया। दो तीन साल पहले की बात है, मेरी पत्नी रेडिओ पे किसी की कहानी के बारे में अपना कॉमेंट दे रही थी तो उस के बाद ही राजेश कोहली अपना कॉमेंट भी देने लगा। यह सुन कर हम ने राजेश के घर फोन किया तो उस ने बताया की उस को भी पेंशन हो गई थी। हम ने उस को हमारे घर आने को बोला तो एक दिन वोह आ गया। जब हम ने उसे देखा तो वोह राज है ही नहीं था। आर्थ्राइटस की वजह से उस से चल नहीं होता था। चाय पानी के बाद अब उस ने हमें बता ही दिया कि उस की पत्नी उसे छोड़ गई थी लेकिन जिस के साथ वोह गई थी वोह भी एक एक्सीडेंट में मारा गया था और पत्नी अब उन की एक बेटी के साथ रहती है क्योंकि दूसरी बेटी अमरीका चले गई है। मेरी पत्नी ने कहा, भैया ! अब आप फिर से इकठे क्यों नहीं हो जाते जब कि बहुत लोग फिर से इकठे हो जाते हैं।  राजेश बोला, ” नहीं जी , अब हमारा कोई रिश्ता नहीं रह गया, बेटीआं भी कभी मुझे मिलने नहीं आईं, तो इस का फायदा ही किया है  ! ”
कुछ महीने हुए, पता चला कि राजेश कोहली अब बृद्ध आश्रम में रहता है जो हम से काफी दूर है। उस की टांगें जवाब दे गई हैं और वील चेअर से ही कमरे में घूम फिर सकता है। कभी कभी उस का टेलीफून आ जाता है और कभी कभी हमारा एक और दोस्त उस की खबर ईमेल करके बता देता है। मैं और मेरी पत्नी बहुत दफा बातें करते रहते हैं कि राजेश के पास अपना घर है जो पता नहीं बंद पढ़ा है या बेच दिया है, उस के पास बहुत पैसे हैं। उन पैसों का अब किया होगा, किया सोचता होगा राजेश । बस, राजेश की किस्मत को कोसने के सिवा हमारे पास भी अब कोई शब्द नहीं हैं।

One thought on “एक बिदेसी की दास्ताँ !

  • लीला तिवानी

    प्रिय गुरमैल भाई जी, आपने असलियत लगती बहुत ही मार्मिक दास्तां बयां कर दी है. सच में ऐसा ही होता है. अब तो भारत में भी ऐसा होने लग गया है. अंत समय में समझ ही नहीं आता, कि क्या खोया और क्या पाया! बहुत सुंदर, सटीक व सार्थक रचना के लिए बधाई.

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