लघुकथा

लघुकथा – हाय

मोबाइल फोन पर हरेलाल गिड़गिडाये जा रहे थे | उनकी आँखों में आये आँसू और मुरझाये चेहरे, सूखे होठों से साफ पता चल रहा था कि हरेलाल पर दिन दहाडे बिजली गिरी है | चौका (गांव की रसोई) में बैठी हरेलाल की धर्मपत्नी शरबती देवी को भी आभास हो गया, उनके घर में किसी बहुत बड़ी विपत्ति ने दस्तक देदी है |

फोन कट चुका था, हरेलाल जहाँ खड़े थे वहीं जमीन पर धड़ाम हो गये | भागकर शरबती देवी अपने पति के पास आ गई | उन्हें सहारा देकर बिठा दिया |

“ क्या हुआ ? क्या बात है… मुझे भी तो बताओ ? ” रोते हुए शरबती देवी ने हरेलाल से पूछा |

अटकते हुए बैठे गले से, बड़ी मुश्किल से धीमी आवाज निकली – “ लड़के वालों ने रिस्ता तोड़ दिया है, लड़के का नम्बर पुलिस में आ गया है | बोलते हैं दस लाख की व्यवस्था हो तो बात करना | वर्ना कोई दूसरा लड़का ढूंढ लो अपनी लड़की के लिए | अपनी बराबरी का ”…

थोडी दूर खड़ी घर के कोने में मधु सारी बातें सुन रही थी | साहस जुटाकर हरेलाल व शरबती देवी के पास आकर बोली –

“ आप काहे रोत हो बाबू जी… हमाई किस्मत में वो घर नाहीं हतो, तुम कौऊ दूसरो घर देखि लो… का वो ही एक कुंवर बचो है जा धरती पे | ”

तीन दिन बाद पता चला कि लड़के के बाप का भयंकर एक्सीडेंट हो गया है | दोनों पैर रहे नहीं, सिर में गम्भीर चोटें हैं | जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं | दस लाख से अधिक डाक्टरों की जेब में जा चुके हैं और अभी कितने जायेंगे ये तो आने वाला समय ही बतायेगा |

— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा 

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111