कविता

संगीत: एक स्वर्णिम सेतु

अंतर्राष्‍ट्रीय संगीत दिवस 21 जून पर विशेष
संगीत में वह कोमलता है,
जो पत्थर को मोम बना दे,
जो पर्वत को राई कर दे,
चट्टानों को चूरा कर दे.

संगीत में वह मादकता है,
जो मनुष्य को मानवता दे,
झूठे मद को चूर-चूर कर,
सच्चेपन से जीवन भर दे.

संगीत में वह सुंदरता है,
जो अग-जग को सुंदर कर दे,
सच्चे सौंदर्य की आभा से,
आभामय जगजीवन कर दे.

संगीत में वह है गंभीरता,
अंतस्तल में पैठ करे जो,
मानव की सद्प्रवृत्तियों को,
जगा-बढ़ाकर भला करे जो.

संगीत में वह मधुरता है,
अहि-कुरंग को मादिल कर दे,
बंजर में जो कुसुम खिला दे,
दुष्टों की दानवता हर ले.

संगीत कला के लिए कला है,
और कला जीवन के हेतु,
कला और जीवन का संगम,
सुगम करे शुभ संगीत-सेतु.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “संगीत: एक स्वर्णिम सेतु

  • लीला तिवानी

    विभिन्न देशों-भाषाओं में संगीत एक स्वर्णिम सेतु है. विभिन्न देशों की भाषाओं, खानपान, वेषभूषा में भले ही अंतर हो, पर संगीत में सुर सात ही होते हैं. संगीत की महिमा अपरंपार है. यह दुःख हरने और खुशियां देने में समर्थ है. आप जानते ही होंगे कि आजकल पशुओं को दूध देते समय संगीत सुनाया जाता है और वे दूध अधिक मात्रा में देते हैं.

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